Beant Singh Assassin Balwant Singh Rajoana Death Sentence Commuted: बब्बर खालसा के आतंकी और पंबजा के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी बलवंत सिंह राजोआना की सजा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. गृह मंत्रालय की ओर से मिली सूचना के मुताबिक, गुरुनानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर मानवीय सद्धाव के तहत बलवंत सिंह की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने का फैसला किया है.
चंडीगढ़. नरेंद्र मोदी सरकार ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी और बब्बर खालसा के आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद विपक्षी दलों में हलचल मची है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने शनिवार को कहा था कि पंजाब में आतंकवाद के दौर से जुड़े आठ सिख अपराधियों को देश की अलग-अलग जेल में रखा गया है. उन सभी को गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर मानवीय सद्भाव के तहत जेल से रिहा किया जा रहा है. साथ ही एक अन्य कैदी ( बलवंत सिंह) की फांसी की सजा को उम्र कैद किया जा रहा है. दूसरी ओर पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर आतंक के नाम पर दोहरी राजनीति का आरोप लगाया है.
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्र और लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि अगर ये खबरें सच हैं तो यह पंजाब और भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है. रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि पहले गुरु नानक जी की जयंती के मौके पर केंद्र सरकार और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मिलकर कुछ सिख कैदियों को उनके अच्छे व्यव्हार और ज्यादा उम्र की वजह से जेल से रिहा या जमानत पर छोड़ने का फैसला किया था. लेकिन जहां बात बलवंत सिंह की सजा पर आती है तो मेरा और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का पक्ष साफ है. कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि बलवंत सिंह एक बेहद खतरनाक आतंकी है जिसे किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहिए. मुझे बाकि सिख कैदियों से कोई मतलब नहीं लेकिन बलवंत सिंह नहीं बचना चाहिए.
क्या था पूरा मामला जिससे सिहर गया था पंजाब
यह घटना 31 अगस्त 1995 की है. उस दौरान तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया. इस आतंकी हमले में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ 16 अन्य लोगों की भी जान गई. खालीस्तानी बब्बर खालसा आतंकी समूह ने हमले की जिम्मेदारी अपने सिर ली. पंजाब पुलिस के पूर्व कर्मचारी दिलावर सिंह ने इस हमले में मानव बम की भूमिका निभाई थी. हमले के लिए दो मानव बम बनाए गए थे यानी अगर पहला मानव बम सफल नहीं होता तो दूसरे को भेजा जाता. हमले के बाद गिरफ्तार हुए राजोआना को मुख्य आरोपी बताया गया.
कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजाई सुनाई और 31 मार्च 2012 आखिरी तारीख तय की. लेकिन फांसी से कुछ दिन पहले शिरोमणि गुरु्दवारा प्रबंधक कमेटी की मर्सी पेटिशन को ध्यान में रखते हुए राजोआना की फांसी पर तत्कालीन मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने स्टे लगा दिया था. इस पूरे मामले में सबसे खास बात ये है कि खुद आरोपी बलवंत सिंह ने कभी न तो कोई पक्ष रखा और न ही अपना वकील किया. लेकिन एजीपीसी ने बलवंत सिंह की पैरवी की.