Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 32 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 32वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 32 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 32वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई
Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 32 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 32वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले में 32 वें दिन सुनवाई के दौरान संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर कहा कि 18 अक्तूबर तक सुनवाई खत्म होना जरूरी है. अगर चार हफ्ते में हमने फैसला दे दिया तो ये एक चमत्कार की तरह होगा. CJI ने कहा कि आज का दिन मिलाकर 18 तक हमारे पास साढे दस दिन हैं. इसके बाद मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से बहस की शुरुआत हुई. ASI रिपोर्ट पर मुस्लिम पक्षकारों ने फिर आपत्तियां जताई, कहा रिपोर्ट कह रही है कि विवादित ढ़ांचे के नीचे विशाल स्ट्रक्चर पाया गया है, जिसमें 55 खंबों की बात कही गई है. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
September 26, 2019 6:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 32 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 32वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले में 32 वें दिन सुनवाई के दौरान संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर कहा कि 18 अक्तूबर तक सुनवाई खत्म होना जरूरी है. अगर चार हफ्ते में हमने फैसला दे दिया तो ये एक चमत्कार की तरह होगा. CJI ने कहा कि आज का दिन मिलाकर 18 तक हमारे पास साढे दस दिन हैं. इसके बाद मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से बहस की शुरुआत हुई. ASI रिपोर्ट पर मुस्लिम पक्षकारों ने फिर आपत्तियां जताई, कहा रिपोर्ट कह रही है कि विवादित ढ़ांचे के नीचे विशाल स्ट्रक्चर पाया गया है, जिसमें 55 खंबों की बात कही गई है. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.
मुस्लिम पक्ष ने कहा ये ASI रिपोर्ट की गलत निष्कर्ष है क्योंकि जो खंबे पाए गए हैं वो अलग अलग लेबल पर हैं इसलिए उसके आधार पर विशाल संरचना की बात नहीं कही जा सकती.
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये लिखा है कि 50 खंबे थे और 4 खुदाई में निकाले गए बिल्कुल ढांचे के नीचे के स्तर पर जो दीवार का आधार थे आप ये बताइये कि कि आधार पर आप कह रहे हैं कि अलग- अलग लेबल पर खंबे पाए गए.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि गुप्त समयकाल 4 से 6 AD रहा है, और इसका गुप्ता समयकाल से कोई लेना देना नही है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वहां पर हर जगह अवशेष थे और बाबरी मस्जिद को ASI रिपोर्ट में हर जगह विवादित ढांचा कहा गया लेकिन रिपोर्ट में उन्होंने राम चबूतरे के स्थान को राम चबूतरा ही बताया है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि जिस बड़े इस्ट्रक्चर की बात हो रही है वह 12 AD में बनाया गया था, उसका गुप्ता समयकाल से कोई मतलब नही है.
अरोड़ा ने कहा कि वह पर ईदगाह भी हो सकती है सब जानते है कि ईदगाह का मुख पश्चिम की तरफ होता है, तो यह क्यों कहा जा रहा है कि वह मंदिर ही थी.
जस्टिस भूषण ने कहा कि अपने कहा कि बाबरी मस्जिद सपाट और खाली मैदान पर बनाई गई अब आप कह रही है वहा पर एक इस्लामिक इस्ट्रक्चर भी था। आपने अपने मुकदमें में ये बात नहीं कही तो क्या आप दलीलों के बीच ये बात कह सकती हैं.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा ये मुद्दा उस समय आया ही नहीं था ये मुद्दा तो जब 1989 में रामलला की तरफ से मुकदमा दायर किया गया उसके बाद ये मुद्दा उठा कि जमीन के अंदर कुछ है.
अयोध्या मामले में लंच के बाद निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास के वकील की दलील और सुनवाई की.
अर्ज़ी से नाराज CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर समय सीमा का हवाला देते हुए कहा कि आज सुनवाई का 32 वां दिन है और अब आप कहते हैं कि आप भी दखल देना चाहते हैं!
CJI रंजन गोगोई ने कहा हम अपने अंतिम कार्यदिवस तक सुनवाई करेंगे? आप एक ही दलील या वैसी ही दूसरी दलील के साथ आते रहते हैं.
CJI की टिप्पणी तब आई जब एक हिंदू पक्षकारों मे से एक निर्मोही अखाड़ा के खिलाफ महंत धर्मदास के वकील ने प्रबंधन के अधिकारों के लिए बहस करने के लिए 20 मिनट का अतिरिक्त वक्त मांगा.
CJI ने कहा हमने पहले ही शेड्यूल दे दिया है और अब इसी वक्त पर डटे रहेंगे.
आप दूसरे वकीलों से बात कर अपनी बहस के लिए वक्त निकाल लें. यानी एडजस्ट कर लें.
मीनाक्षी अरोड़ा ने फिर बहस की शुरुवात की जिन 85 खंभों की बात की जा रही है उन पर कई इतिहासकारों और पुरातत्वविदों में मतभेद हैं.
खंभे अलग आकार और ऊंचाई के हैं. अगर वो एक ही सतह वाले आधार पर थे तो ऊंचाई अलग अलग होने का क्या मतलब?
वो पश्चिमी दिशा वाली दीवार ईदगाह की क्यों नहीं हो सकती? ऐसा मानने में क्या हर्ज है? क्योंकि वो दीवार बिल्कुल अलग और अकेली है। खंभे बिल्कुल अलग हैं.
वो खंभे खोखली जगह पर ईंटों की जमावट से भी बनाए गए हो सकते हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़- हम ASI रिपोर्ट के लेखकों के निष्कर्ष से उलट कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते.
खंभों की ऊंचाई और आकार पर भी CJI ने कहा कि इससे आप ये बताना चाहती हैं कि ये अलग अलग फ्लोर अलग अलग समय मे बने थे!
अयोध्या मामले में ASI की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वहां पर हाथी और किसी जानवर की मूर्ति मिलने से ये नहीं कहा जा सकता कि वहां पर मन्दिर ही होगा. क्योंकि उस समय में वह खिलौना भी हो सकता है जिसको किसी धर्म से नही जोड़ा जा सकता.
अरोड़ा ने कहा कि वहां पर 383 आर्किटेक्चर अवशेष मिले थे जिसमें से 40 को छोड़ कर कोई भी मन्दिर का हिस्सा नही कहा जा सकता.
शिलाओं पर बने कमल के निशान पर अरोड़ा ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह मंदिर ही है क्योंकि वह जैन, मुस्लिम बौद्ध और हिन्दू धर्मो के भी पवित्र चिह्न हो सकते है.
इसपर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं?
इस सवाल का मीनाक्षी अरोड़ा ने सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हो सकता है.
इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने अपने साथ बेंच में बैठे जज जस्टिस नजीर से इसका जवाब जानना चाहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं.
जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कमल के चित्र को हिन्दू, मुस्लिम, बुद्ध सभी इस्तेमाल करते रहे है. इसका इस्तेमाल मुस्लिम और इस्लामिक आर्किटेक्ट में होता रहा है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने ASI रिपोर्ट में “दिव्य” शब्द का उपयोग करने के पर आपत्ति जताई.
पीठ ने कहा कि इन सभी आपत्तियों को परीक्षण के दौरान विशेषज्ञों के सामने उठाना चाहिए था.
मीनाक्षी : टेराकोटा के हाथियों को हिन्दुओं के लिए कहना सही नहीं है. अष्टकोणों को भी सिर्फ हिन्दुओं में शामिल करना स्वीकार्य नहीं है.
जस्टिस बोबडे – अष्टकोणों का इस्तेमाल हिंदुओं द्वारा ही किया जाता है.
मीनाक्षी – रिपोर्ट में गलत समय-निर्धारण दिया गया है.
एक ही चीज़ के लिए अलग- अलग अवधि दी गई है.
एक जगह पर उन्होंने इसके मुगल काल के होने की बात कही तो दूसरी जगह पर वो इसे मध्यकाल की शिल्पकृति कहते हैं.
जस्टिस बोबडे : उसमें किसी जानवर का जिक्र है.
मीनाक्षी : हां वराह का. हिंदुओं के हर देवता की सवारी होती है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील दी कि खुदाई के दौरान ASI को जो हड्डियां मिली हैं उसपर उनपर काटने के निशान थे.
इसके दो मतलब हो सकते हैं कि उस जगह पर लोग मांस खाते थे या बलि दी जाती थी.
जबकि हिन्दू पक्ष यहां वैष्णव मंदिर बता रहा है ऐसा कैसे हो सकता है . बलि तो शक्तिपीठ में चढ़ाई जाती है.
अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में कल यानी 33 वें दिन भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील दी जाएगी.