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Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 31 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 31वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 31 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जाफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुआत की. जाफरयाब जिलानी ने कहा वो राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नही मानते. हमनें ये स्वीकार नही किया है. कल तो हम बस 1885 के कोर्ट का आदेश बता रहे है. सुन्नी वक्फ बोर्ड का स्टैंड भी वही है जो मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने रखा है. राजीव धवन ने कहा था कि वो मानते है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था लेकिन कहाँ वो नही बता सकते. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

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Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 31 Written Updates
  • September 25, 2019 6:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 31 Written Updates: अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आज 30वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जाफरयाब जिलानी ने बहस की शुरुआत की. जाफरयाब जिलानी ने कहा वो राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नही मानते. हमनें ये स्वीकार नही किया है. कल तो हम बस 1885 के कोर्ट का आदेश बता रहे है. सुन्नी वक्फ बोर्ड का स्टैंड भी वही है जो मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने रखा है. राजीव धवन ने कहा था कि वो मानते है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था लेकिन कहाँ वो नही बता सकते. बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस संवैधानिक पीठ में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए . नजीर भी शामिल है. यह पूरा विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.

  • इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि इसका मतलब 1886 का डिस्ट्रिक्ट जज का फैसला आज भी बरकरार है? क्योंकि इसे किसी ने चुनौती नहीं दी.
  • जिलानी: हां.
  • 1886 के फैसले के मुताबिक राम चबूतरा है भगवान राम का जन्म स्थान है.
  • जिलानी की आंखों में मोतियाबिंद होने की वजह से देखने मे दिक्कत है. लिहाज़ा कई दस्तावेज इनकी जूनियर आकृति ने पढ़ा.
  • हवेनत्सांग की यात्रा का वृतांत बताते हुए विक्रमादित्य के बनाए मन्दिर और बौद्ध मठों स्मारकों का अयोध्या में होने का ज़िक्र किया. मंदिरों के इस शहर में सारे मन्दिर हिंदुओ के नहीं थे.
  • 1858 में पहली बार सिख निहंग मस्जिद वाली इमारत में जबरन घुसे और पाठ शुरू किया था. मना करने पर वो नहीं हटे तो दरोगा और पुलिस ने उनको जबरन बाहर किया.
  • पहली बार कोई गैरमुस्लिम उस इमारत में उपासना के लिए दाखिल हुआ था.
  • जिलानी की दलील पूरी.

  • जिलानी के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा ने बहस की शुरुवात की. मीनाक्षी अरोड़ा ने पुरातात्विक विभाग की रिपोर्ट पर बहस शुरू की.
  • अरोड़ा ने कहा मस्जिद 1528 से थी। लेकिन कई तरह के सबूत मिले हैं. सबूत मौखिक भी हैं और वैज्ञानिक भी. लेकिन उन पर बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि यहां मामला सामाजिक विज्ञान जे भी जुड़ा है.
  • विश्वास है कुछ लोगों को रामजन्म स्थान का. लेकिन 1528 में कुछ हुआ था. अरोड़ा ने हाईकोर्ट के फैसले के हवाले से कहा- 1885 में जिला जज ने भी ये पाया था कि महन्त रघुबर दास ने मन्दिर बनाया था. मस्जिद ऐसी जगह पर बनाई जो हिंदुओं के लिए पवित्र थी.
  • लेकिन तीन सौ छप्पन साल हो गए हैं. लिहाज़ा अब इस मामले में कुछ करने से शांति भंग होगी. लिहाज़ा दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए रखे.
  • जस्टिस बोबड़े- जीर्णोद्धार का मतलब ये भी हो सकता है कि वहां बहुत पुराना ढांचा रहा हो जहां ये मस्जिद बनाई गई.
  • अरोड़ा- 1528 से 1992 तक मस्जिद का अस्तित्व था.
  • जस्टिस चंद्रचूड़- इसमे दो तर्क हो सकते हैं- अव्वल तो निर्जन पड़े जीर्ण मन्दिर की जगह मस्जिद बनाई गई. या फिर बिल्कुल खाली जमीन पर बनाई गई. आप इस पर अपनी बात रखें.
  • अरोड़ा- हिंदुओं का दावा है कि महाराजा विक्रमादित्य के समय रामजन्म भूमि मन्दिर बनाया गया था. उसमें कसौटी पत्थर के खंभों पर देवी देवताओं की मूर्तियां थीं. उन्हें ध्वस्त कर उसके अवशेषों के साथ मस्जिद बनाई गई.
  • इसमे asi की रिपोर्ट भी मौखिक, यात्रा वृतांत और खुदाई में मिली चीज़ों का रसायनिक विश्लेषण है.
  • ASI के खुदाई में विशेषज्ञ भुवन विक्रम सिंह थे. हाईकोर्ट ने उनसे भी पूछताछ की लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों को उनसे जिरह की इजाजत नहीं दी. बाद में asi रिपोर्ट को ठोस सबूत माना और फैसले में इसका जिक्र भी किया.
  • अरोड़ा- हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कुछ नहीं कहा कि मस्जिद बाबर ने बनाई या औरंगजेब ने. मैं भी इसमे नहीं पड़ूँगी.
  • जस्टिस चंद्रचूड़- ASI की रिपोर्ट और रिपोर्ट ना मानने का आधार क्या है?
  • जस्टिस बोबड़े- मन्दिरों के जीर्णोद्धार की भी परंपरा रही है. पुराने जीर्ण मंदिरों को उसी स्थान पर सिरे से बनाया जाता है। क्या जीर्ण मन्दिर की जगह पर बनाई मस्जिद?
  • ये तो हिन्दू पक्ष को बताना पड़ेगा कि वहां मन्दिर था. वो सबूत दें. किसी यात्री के वृतान्त से ये कैसे साबित होगा की उसे किसी ने बताया था कि वहाँ एक मन्दिर था!.
  • जस्टिस बोबड़े- आप क्या कोर्ट कमिश्नर और asi विशेषज्ञ ने कोर्ट के आदेश पर रिपोर्ट सौंपी. तो आप क्या ये कहना चाहती हैं कि रिपोर्ट किसी और ने तैयार की? वैसे भी कोर्ट कमिश्नर से कोई पूछताछ / जिरह नहीं होती.
  • अरोड़ा- रिपोर्ट पर हमारी आपत्ति ये है कि सबूत बिना रिपोर्ट का क्या मतलब?
  • जस्टिस चंद्रचूड़- वो कोर्ट कमिश्नर है ना कि आपका गवाह!
  • अरोड़ा- हमने आपत्ति की थी क्योंकि हम उनकी रिपोर्ट के सारांश पर बात करना चाहते थे. लेकिन कोर्ट ने हमे इजाज़त नहीं दी.
  • जस्टिस चंद्रचूड़- आपकी आपत्ति स्पेसिफिक नहीं थी. आप कोर्ट को ये नहीं बता पाई कि आखिर कोर्ट कमिश्नर से आप क्या पूछना चाहते थे. रिपोर्ट की summry पर किसके दस्तखत नहीं थे आपका सवाल स्पष्ट नहीं था. तभी अदालत ने में आपका ये आग्रह खारिज कर दिया. क्योंकि summry पर विभाग का फोरवर्डिंग लेटर था और आपका आपत्ति का आधार और तरीका भी साफ और उचित नहीं था.
  • जस्टिस बोबड़े- आपके हिसाब से ट्रायल कोर्ट अगर सबूतों पर गलती कर रहा था तब तो आपने मुद्दा वहीं उठाया नहीं अब अपील में उठा रहे हैं. ऐसे में अब ये कैसे परमिसिबल हो सकता है?
  • अरोड़ा- हमने आपत्ति की थी.
  • जस्टिस बोबड़े- तब तो रास्ता था अब इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
  • जस्टिस चंद्रचूड़- ये तो cpc के नियम 26 के मुताबिक वो रिपोर्ट कोर्ट की थी. ऐसे में तो वो गवाह भी कोर्ट का ही हुआ. फिर आप उससे किस तरह जिरह कर सकते थे?
  • अरोड़ा- रिपोर्ट पर दस्तखत नहीं हैं.
  • CJI- हालांकि वो रिपोर्ट कोर्ट का रिकॉर्ड बन गई थी. उस पर तो नाम छपे हैं. आप की आपत्ति उसके लेखक को लेकर है. आप रिपोर्ट के दसवें चैप्टर को लेकर दलील देना चाहती हैं तो दें.
  • जस्टिस भूषण- उस रिपोर्ट पर हरि मांझी और बी आर मणि के नाम छपे हैं। क्योंकि रिपॉर्ट पर उनके दस्तखत हैं. ये तो ASI ने नाम छाप कर मान लिया है कि ये साझा रिपोर्ट है.
  • चीफ जस्टिस – हमने रिपोर्ट के दसवें अध्याय, जिसमे रिपोर्ट का निष्कर्ष है, को लेकर आपकी इस आपत्ति का संज्ञान लिया है. हम देखेंगे कि रिपोर्ट के साथ कोई फारवर्ड लेटर था या नहीं. अब आप अगला पॉइंट बताएं.
  • अरोड़ा- हिन्दू पक्षकारों ने ये नहीं बताया कि वहां मन्दिर किसने और किस काल मे बनाया? विक्रमादित्य तो कई राजाओं की पदवी रही. लिहाज़ा ये दावा ठोस नहीं है.
  • 85 खंभे की बात कही गई जिनमे से asi ने 50 को ही देखा और 12 को पूरी तरह एक्सपोज़ किया और बाकी को थोड़ा बहुत देखकर छोड़ दिया था.
  • अरोड़ा- खुदाई के दौरान ज़मीन के भीतर से मिले सबूत का कालखण्ड निर्णय ज़रूरी है जिससे निर्माण काल का पता चलता है.

  • जस्टिस बोबड़े- हालांकि यहाँ इसकी क्या अहमियत होगी!
  • अरोड़ा- हो सकता है नीचे कोई मन्दिर जैसा ढांचा हो. लेकिन उसे तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई इसका कोई सबूत नहीं है.
  • जस्टिस बोबड़े- लेकिन नीचे मन्दिर का ढांचा तो मिला है. उसके निर्माण के कालखंड की अहमियत उतनी नहीं है.
  • मीनाक्षी अरोड़ा- वहां खुदाई की जगह पश्चिमी छोर पर 50 मीटर लंबी मोटी दीवार मिली वहां ईदगाह की दीवार होगी.
  • ईदगाह बस्ती के बाहर होती थी. जहां मुस्लिम बड़ी तादाद में ईद बकरीद की नमाज़ अदा करते थे.
  • जस्टिस भूषण- आपकी दलीलो में ईदगाह का कहीं ज़िक्र नहीं है जैसा कि हिन्दू मन्दिर होने की प्लीडिंग देते रहे हैं.
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व रिपोर्ट में कहा गया है कि खंभे अलग अलग समय के हैं। कोई 6AD और कोई 7AD का है. कोई बड़ा और छोटा तथा अलग अलग दूरी पर स्थित है. ऐसे में खुदाई के बाद जिन खंभों कि बात कि जा रही है वो मंदिर के थे. यह स्पष्ट नहीं है.
  • चीफ जस्टिस ने कहा कि आप जो भी दलीलें दे रहीं हैं वो आपके दावे से संबंधित हैं, इसका आधार और औचित्य क्या है?
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि मेरा तात्पर्य ये है कि रिपोर्ट सही नहीं है.
  • जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप क्यों पुरातत्व विशेषग्यों कि राय को नकार रहीं हैं. जबकि उन्होंने अदालत के आदेश पर प्रक्रिया के अनुरूप काम किया.
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि ASI की रिपोर्ट की समरी रिपोर्ट से भी आगे की बात कहती है जो हमें स्वीकार्य नही है और एएसाई की रिपोर्ट में बहुत सी खामिया हैं जिसे हम उजागर करेंगे और हमारी दलील है कि इसकी वजह से ये रिपोर्ट साह्य की तरह स्वीकार करने लायक नहीं है.
  • ASI की रिपोर्ट पर बहस के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जो भी आपने दलीलें दी है उसे हम क्यों सुनें, जो नियम कहता है कि आपको मौका दिया गया गया था ट्रायल के समय अधिकारियों से क्रॉस इक्जामिन का हाईकोर्ट में लेकिन आपने उसका फायदा नही उठाया.
  • अब आप हमें इस बात पर संतुष्ट कीजिये कि अब इस फस्ट अपील पर हम आपको क्यों सुने क्योकि नियम के मुताबिक ये एक्सपर्ट एविडेंस है और कानून के हिसाब से स्वीकार्य करने लायक साक्ष्य है.
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हम इस सवाल का जवाब कल देंगे. कल भी मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा पक्ष रखेंगी.

Ayodhya Ram Janmabhoomi Land Dispute Case SC Hearing: अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में राम चबूतरे पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का यू-टर्न, कहा- नहीं मानते कि भगवान राम का यहीं जन्म हुआ

Ayodhya Land Dispute Case SC Hearing Day 30 Written Updates: अयोध्या मामले में हुई 30वें दिन की सुनवाई, जानिए मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट, कल भी जारी रहेगी सुनवाई

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