Pitru Paksha Shradh 2019: कल 13 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए पितरों के श्राद्ध और पिंडदान का महत्व

Pitru Paksha Shradh 2019 ki Tarikh Aur Mahtava: पितृ पक्ष 2019 शुक्रवार 13 सितंबर से शुरू हो रहा है. पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों और पितरों का पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. श्राद्ध करने से पितरों के ऋण से मुक्ति मिलती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार परिवार के मृत सदस्यों का पिंडदान और श्राद्ध करना जरूरी होता है, इससे उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है.

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Pitru Paksha Shradh 2019: कल 13 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानिए पितरों के श्राद्ध और पिंडदान का महत्व

Aanchal Pandey

  • September 12, 2019 7:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू हो रहा है. शुक्रवार को भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन पितृ पक्ष की शुरुआत होगी. 16 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समाप्ति होगी. इस दौरान परिवार के लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और पिंड दान करते हैं. साथ ही पितरों की पूजा कर उन्हें भोग लगाते हैं. हिंदू धर्म में पिंडदान और श्राद्ध का बहुत महत्व है. हिंदी मान्यताओं के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान पितरों का पिंडदान और श्राद्ध की परंपरा है. श्राद्ध करने से घर की समस्याएं दूर होती हैं. पितरों की ऋण मुक्ति के लिए श्राद्ध का अत्यधिक महत्व है.

पिंडदान और श्राद्ध क्या होता है.
पिंडदान पूर्वजों का किया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान परिवार के मृत सदस्यों को तिल, चावल, जौ समेत अन्य अनाजों का भोग लगाया जाता है. उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है. जिस दिन व्यक्ति की मृत्यु होती है उस तिथि को भी पिंडदान किया जा सकता है.

वहीं श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान ही किया जाता है. अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध का खासा महत्व है. श्राद्ध के दौरान पितरों को भोजन कराया जाता है. पिंडदान श्राद्ध का ही हिस्सा है. इसके अलावा पितरों को जल अर्पण करने की भी परंपरा है इसे तर्पण कहा जाता है.

श्राद्ध और पिंडदान का महत्व-
हिंदू मान्यताओं के अनुसार अपने पितरों का श्राद्ध करने से परिवार की आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है. पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि मृत व्यक्ति का श्राद्ध और पिंडदान करना जरूरी होता है. जब तक ये नहीं होता है उन्हें इस संसार से मुक्ति नहीं मिलती है. उनकी आत्मा की मुक्ति और शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है.

कब होता है श्राद्ध-
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पिता का पिंडदान किया जाता है. वहीं नवमी को माता का पिंडदान और श्राद्ध होता है. परिवार के किसी सदस्य की यदि अकाल मृत्यु हुई है तो उनका श्राद्ध कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को करते हैं. इसी तरह यदि पितरों के मृत्यु की तिथि का पता नहीं है तो उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.

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