ISRO Vikram Lander Separates From Chandrayaan 2 Orbiter: चंद्रमा मिशन में इसरो एक कदम और आगे बढ़ गया है. चंद्रयान- 2 ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक विक्रम लैंडर अलग हो गया है. चंद्रयान -2 ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम के अलग होने का समय 1245 घंटे और 1345 घंटे (आईएसटी- भारतीय समयनुसार) के बीच निर्धारित किया गया था. इसके बाद, चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में उतरने की तैयारी के लिए लैंडर विक्रम के दो डीओरबिट युद्धाभ्यास होंगे.
नई दिल्ली. रविवार को चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान 2 लैंडर, विक्रम सोमवार को कक्ष से सफलतापूर्वक अलग हो गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने एक ट्वीट में विकास की पुष्टि की है. चंद्रयान -2 ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ का अलग होने का समय दोपहर 12:45 से दोपहर 01:45 बजे (आईएसटी- भारतीय समयनुसार) के बीच निर्धारित किया गया था. इसके बाद, चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में उतरने की तैयारी के लिए लैंडर ‘विक्रम’ के दो डी ओरबिट युद्धाभ्यास होंगे.
14 अगस्त को चंद्रयान -2 उपग्रह ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू की थी. पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर, इसरो द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बाद, इसरो द्वारा मून मिशन पर अंतरिक्ष यान को रखने के लिए किया गया. भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, GSLV MkIII-M1 ने 22 जुलाई को 3,840 किलोग्राम के चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च कर दिया था.
#ISRO
Vikram Lander Successfully separates from #Chandrayaan2 Orbiter today (September 02, 2019) at 1315 hrs IST.For details please visit https://t.co/mSgp79R8YP pic.twitter.com/jP7kIwuZxH
— ISRO (@isro) September 2, 2019
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि इसरो के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स से बेंगलुरु के पास ब्यालू में इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क एंटेना के समर्थन से अंतरिक्ष यान के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है. लैंडिंग के बाद, रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से 5:30- 6:30 के बीच 7 सितंबर को एक चंद्र दिन की अवधि के लिए चंद्र सतह पर एक प्रयोग को अंजाम देगा, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है. लैंडर का मिशन जीवन भी चांद के एक दिन के बराबर है. जबकि ऑर्बिटर एक वर्ष के लिए अपने मिशन को जारी रखेगा.
ऑर्बिटर चंद्र की सतह की मैपिंग के लिए आठ वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है और चंद्रमा के एक्सोस्फीयर (बाहरी वातावरण) का अध्ययन करता है जबकि लैंडर सतह और उपसतह विज्ञान प्रयोगों का संचालन करने के लिए तीन वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है. रोवर ने चंद्र की सतह की समझ को बढ़ाने के लिए दो पेलोड का वहन किया.