Chandrayaan 2 completes fourth lunar orbit manoeuvre: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उसने चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान ने चौथी चंद्र बाउंड ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है, इसके साथ ही वह चंद्रमा के बेहद करीब पहुंच गया है. इस मिशन के सफल होने की दुआएं पूरे देश भर में मांगी जा रही है.
नई दिल्ली. Chandrayaan 2 completes fourth lunar orbit manoeuvre: भारत के लिए एक और बड़ी सफलता है. चंद्रयान-2 धीरे-धीरे चांद के बेहद करीब होता जा रहा है. शुक्रवार को चंद्रयान-2 के नाम एक और सफलता जुड़ गई. शुक्रवार को सफलतापूर्वक चंद्रयान -2 ने चांद की चौथी कक्षा में प्रवेश किया. इसके साथ ही वह चंद्रमा के और करीब पहुंच गया है. अब चंद्रयान-2 अगले 2 दिन तक इसी ऑर्बिट में चांद का चक्कर लगाएगा. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की बड़ी सफलता है.
इसरो के इंजीनियरों की टीम ने 20 मिनट तक चले ऑपरेशन में शुक्रवार को चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के करीब पहुंचा दिया. अंतरिक्ष यान अब 124 किमी x 164 किमी की लगभग गोलाकार कक्षा में चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा. जिसके बाद इसके 1 सितंबर को शाम 6 से 7 बजे के बीच चंद्रयान-2 पांचवीं कक्षा में प्रवेश करेगा.
#ISRO
Fourth Lunar bound orbit maneuver for Chandrayaan-2 spacecraft was performed successfully today (August 30, 2019) at 1818 hrs IST.For details please visit https://t.co/s4I7OIOF5R pic.twitter.com/ld4wbTMuBq
— ISRO (@isro) August 30, 2019
#Chandrayaan2 has officially gone further than its predecessor Chandrayaan 1! What do you think it will find on the Moon? Share your thoughts with us in the comments below!#ISRO #MoonMission pic.twitter.com/pZEnxPf3su
— ISRO (@isro) August 29, 2019
अंतरिक्ष यान एक कक्षा में पहुंच गया है, जो अपने निकटतम बिंदु पर चंद्र सतह से 124 किमी और सबसे दूर 164 किमी पर है.
1 सितंबर: चंद्रयान 2 अपना अगला पड़ाव रविवार को 6-7 बजे के बीच पूरा करेगा. इससे चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी दूर रह जाएगा. की इसके साथ ही अंतरिक्ष यान अपनी अंतिम कक्षा में प्रवेश करेगा.
2 सितंबर: लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी X 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा.
7 सितंबर: अंतरिक्ष यान के विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में एक लैंडिंग करेंगे. इस काम को बेहद मश्किल और कड़ा कहा जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, दक्षिणी ध्रुव विशेष रूप से दिलचस्प है, क्योंकि यहां चंद्र सतह क्षेत्र छाया में रहता है जो उत्तरी ध्रुव की तुलना में बहुत बड़ा है. इसके चारों ओर स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की उपस्थिति की संभावना है.
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा है कि लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. 2 सितंबर को लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. इसके बाद 7 सितंबर को यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.