Online Internet Prostitution Sex Racket: इंटरनेट पर ऑनलाइन डिजिटल जिस्मफरोशी का हाहाकार है. बच्चे, युवा से लेकर बुजुर्ग तक इसकी चपेट में हैं. फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए ये धंधा उफान पर है. काफी लोग इस फ्रॉड में फंसकर लाखों-करोड़ों तक गंवा चुके हैं. सावधान हो जाइए, कहीं अगले शिकार आप ही तो नहीं.
नई दिल्ली. शॉपिंग, फूड के बाद अब सेक्स भी डिजिटल हो गया है. हालांकि, इसमें आप सामने वाले को छू तो नहीं सकते लेकिन महसूस पूरा कर सकते हैं. ये तो नहीं पता कि कब से जिस्मफरोशी इंटरनेट पर होने लगी लेकिन इसकी चपेट में जरूर लाखों-करोड़ों लोग आ चुके हैं. इनमें डिजिटल सेक्स का शिकार होने वालों की अधिक संख्या 12 साल से लेकर 28 साल के बीच है. खास बात है कि इन सब के लिए आपको ज्यादा मेहनत तो नहीं लेकिन थोड़ा पैसा खर्च जरूर करना पड़ता है. व्हाट्सएप, फेसबुक के जरिए वीडियो पर लाइव जाकर सेक्स चैट से लेकर न्यूड डांस तक का ऑप्शन आपके लिए मौजूद है.
पहले 100 रुपए पेटीएम फिर टी-शर्ट ऊपर करूंगी
इंटरनेट का यह गोरखधंधा सीधा गूगल सर्च पर जाकर शुरू हो जाता है. यानी जैसे ही लाइव सेक्स या कुछ भी ऐसा कीवर्ड डालते हैं, आपके सामने कई अलग-अलग वेबसाइट इन ऑप्शन के साथ खुलकर सामने आ जाती है. हैरानी वाली बात है कि कई वेबसाइट तो काफी नामदार हैं जिनपर रैकेट चला रहे लोगों ने अपने एड पोस्ट किए हैं. अधिकतर इन एड्स पर एक व्हाट्सएप नंबर दिया जाता है.
एक मशहूर वेबसाइट का एड
जब आप व्हाट्सएप से उस नंबर पर मैसेज करते हैं तो सबसे पहले रेट लिस्ट आपको भेजी जाती है. उस रेट लिस्ट में 100 रुपए से लेकर हजारों तक का पैकेज आपको बताया जाएगा जिसमें लाइव सेक्स चैट, न्यूड डांस समेत कई ऑप्शन होंगे. 100 रुपए का ऑप्शन सिर्फ 1 झलक दिखाने का होता है ताकी ग्राहक को यकीन हो सके. कई बार तो मामला यहीं रुक जाता है तो कई बार यह बड़ा फ्रॉड बनकर लोगों के सामने आता है.
बच्चे, जवान से लेकर बूढ़े भी डिजिटल गोरखधंधे के शिकार
बेशक इसका शिकार अधिकतर युवा वर्ग है लेकिन बच्चे और बुजुर्ग भी इससे अछूत नहीं है. सबसे बड़ी परेशानी है कि यह सब आराम से इंटरनेट पर मिल जाता है. कहीं भी इसके चकाचौंध से भरे एड्स आपको दिख जाते हैं, ऐसे में जो इस जाल में फंस गया वो गया. अगर फंसने वाले की किस्मत ज्यादा खराब है तो वह लाखों-करोड़ों रुपए के लिए ब्लैकमेल भी किया जा सकता है. इसमें कोई हैरानी वाली बात भी नहीं है क्योंकि इससे पहले भी ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं.
कई बार व्यक्ति अकेलापन दूर करने के लिए इनका सहारा तो ले लेता है लेकिन कुछ ही समय में असलियत उसके सामने आ जाती है. जब तक उसे सच्चाई का पता लगता है जब तक वह ठगा जा चुका होता है या कोई उसे ब्लैकमेल करता हुआ होता है. अब इस मामले में समाज को सोचकर वह व्यक्ति खुलकर किसी से कुछ बता भी नहीं पता और चुपचाप पैसा उन रैकेटों के पास तक पहुंचा देता है. हालांकि, जो लोग इस फ्रॉड के बारे में बताने का साहस करते हैं और सायबर पुलिस में शिकायत करते हैं तो इन रैकेटों का भंडाफोड़ भी हो जाता है.