Veteran Music Composer Khayyam Passes Away Profile: एक्टर बनने का सपना लेकर घर से भागे मोहम्मद जहूर खय्याम कैसे बने मशहूर संगीतकार

Veteran Music Composer Khayyam Passes Away Profile: मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम का सोमवार को निधन हो गया. 92 साल के खय्याम ने मुंबई के सुजय अस्पताल में आखिरी सांस ली. खय्याम ने आखिरी खत, आहिस्ता आहिस्ता, बाजार, बेपनाह, उमराव जान, कभी कभी, फुटपाथ, दिल आखिर दिल है और रजिया सुल्तान जैसी कई मशहूर बॉलीवुड फिल्मों में संगीत दिया. उन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोंसले से लेकर मोहम्मद रफी और किशोर कुमार तक जैसे महान गायकों के साथ काम किया. जानिए एक्टर बनने का सपना लेकर घर से भागे और मुंबई पहुंचे खय्याम कैसे मशहूर संगीतकार बन गए.

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Veteran Music Composer Khayyam Passes Away Profile: एक्टर बनने का सपना लेकर घर से भागे मोहम्मद जहूर खय्याम कैसे बने मशहूर संगीतकार

Aanchal Pandey

  • August 19, 2019 11:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. आखिरी खत, आहिस्ता आहिस्ता, बाजार, बेपनाह, उमराव जान, कभी कभी, फुटपाथ, दिल आखिर दिल है और रजिया सुल्तान जैसी कई फिल्मों की धुन बनाने वाले संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. खय्याम ने मुंबई के सुजय अस्पताल में सोमवार रात आखिरी सांस ली. खय्याम के जाने से भारतीय फिल्म जगत में संगीत के एक युग का अंत हो गया. मशहूर गायिका लता मंगेशकर और आशा भोंसले के साथ खय्याम ने बहुत काम किया. किशोर कुमार, मुकेश, मोहम्मद रफी और अनवर अली के कई गानों को भी उन्होंने ही धुन दी. आइए जानते हैं कि एक्टर का सपना लेकर फिल्मी दुनिया में पहुंचे खय्याम कैसे मशहूर संगीतकार बन गए.

मोहम्मद जहूर खय्याम का जन्म पंजाब के जालंधर जिले में 18 फरवरी 1927 को हुआ था. नवाबी माहौल में रहने के कारण उन्हें कविता और संगीत का शुरू से ज्ञान मिलता रहा. बचपन से ही उन्हें फिल्मों का बड़ा शौक था. वे घर से छुप-छुपकर फिल्में देखने जाया करते थे. हालांकि खय्याम के परिवार को उनकी फिल्मी दीवानगी से ऐतराज था. यही कारण था कि वे घर-परिवार से दूर बॉम्बे आ गए और फिल्म जगत में अपने करियर की शुरुआत की.

 

बीबीसी को एक बार दिए इंटरव्यू में खय्याम ने बताया था कि वैसे तो वे बॉलीवुड में एक्टर बनने आए थे लेकिन यहां आकर उनकी दिलचस्पी संगीत में बढ़ गई. उन्होंने पहली बार फिल्म हीर राझा में संगीत दिया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद फिल्म बीवी के गाने अकेले में वो घबराते तो होंगे से उन्हें पहचान मिली. इस गाने को खय्याम ने डायरेक्ट किया था और मोहम्मद रफी ने इसमें आवाज दी थी. 60 और 70 के दशक में खय्याम ने कई फिल्मों में हिट म्यूजिक दिया. इसमें आखिरी खत, फुटपाथ, कभी-कभी, शोला और शबनम शामिल थीं.

 

मोहम्मद जहूर खय्याम को 1981 में फिल्म उमराव जान के संगीत के लिए नेशनल अवार्ड मिला. इसके बाद 1982 मे फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया. इसके बाद 2010 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला और 2011 में खय्याम को संगीत की दुनिया में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया.

6 साल पहले खय्याम के बेटे का देहांत हो गया था. तभी से वे दुनिया से कटे-कटे से रह रहे थे. उन्हें अपने बेटे के जाने का बहुत दुख हुआ. अवसाद में रहने के कारण वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पिछले कुछ दिनों से वे मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती थे वहां गंभीर हालत में उनका इलाज जारी था. उन्होंने सोमवार शाम आखिरी सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह गए.

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