IMA Slams British Journal Commenting on Jammu Kashmir: ब्रिटिश जर्नल ने नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की निंदा की तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिया मुंहतोड़ जवाब

IMA Slams British Journal Commenting on Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले की निंदा करने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आईएमए ने मशहूर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल 'The Lancet' को मुंहतोड़ जवाब दिया है. द लेनसेट ने अपने संपादकीय में लिखा था कि नई व्यवस्था से कश्मीर में लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और आजादी पर प्रभाव पड़ेगा. इसका जवाब देते हुए आईएमए ने कहा है कि जर्नल को राजनीतिक मुद्दों पर कमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है. अंग्रेज ही अपनी विरासत में कश्मीर मुद्दा छोड़कर गए थे.

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IMA Slams British Journal Commenting on Jammu Kashmir: ब्रिटिश जर्नल ने नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की निंदा की तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिया मुंहतोड़ जवाब

Aanchal Pandey

  • August 19, 2019 7:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. मशहूर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘The Lancet’ ने नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का बंटवारा करने के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. इसके जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आईएमए ने जर्नल के संपादक रिचर्ड होर्टोन को पत्र लिखकर उनके संपादकीय की निंदा की है और कहा है कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में खासकर कश्मीर मसले पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. कश्मीर मुद्दा अंग्रेज अपनी विरासत में देकर गए हैं.

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने शनिवार को अपने संपादकीय में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को विवादित कदम बताया था. इस संपादकीय में भारत सरकार के इस फैसले से कश्मीरी लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और उनकी आजादी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही इसे कश्मीर में शांति और समृद्धि लाने वाला कदम बता रहे हैं लेकिन पहले कश्मीरियों को अपने दशकों पुराने घाव भरने के लिए मरहम की जरूरत है.

ब्रिटिश जर्नल द लेनसेट का कहना है कि तमाम विकासात्मक सूचक यह दर्शाते हैं कि कश्मीर भारत के अन्य हिस्सों से ज्यादा बेहतर विकास कर रहा है. 2016 में जम्मू-कश्मीर की लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा राष्ट्रीय औसत से ज्यादा थी.

साथ ही ब्रिटिश जर्नल ने एमएसएफ (Médecins Sans Frontières) की दो ग्रामीण जिलों में किए गए अध्ययन को आधार बनाकर यह कहा है कि लगभग आधे कश्मीरी खुद को सुरक्षित नहीं मानते हैं. इनमें से अधिकतर वो लोग हैं जिन्होंने हिंसा में अपने परिवार के सदस्य को खोया है. कश्मीर के लोगों में चिंता, डिप्रेशन और तनाव के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ब्रिटिश जर्नल के इस संपादकीय की कड़ी भर्त्सना की है. आईएमए ने ब्रिटिश जर्नल को लिखे पत्र में कहा कि द लेनसेट को राजनीतिक मुद्दों पर कमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि कश्मीर मुद्दा तो अंग्रेज अपनी विरासत में छोड़कर गए थे.

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