Bakrid 2019 Date in India: भारत में इस दिन मनाई जाएगी इद उल अजहा, क्या है बकरीद पर कुर्बानी का इतिहास

Bakrid 2019 Date in India: भारत में अगस्त के दूसरे सप्ताह को ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार मनाया जाएगा. बकरीद इस्लाम में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना गया है जिस दिन अल्लाह की की इबादत में जानवर (भेड़ या बकरी) की कुर्बानी दी जाती है. जानिए इस दिन कुर्बानी से जुड़ा इतिहास.

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Bakrid 2019 Date in India: भारत में इस दिन मनाई जाएगी इद उल अजहा, क्या है बकरीद पर कुर्बानी का इतिहास

Aanchal Pandey

  • July 27, 2019 11:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. इस्लामिक कैलेंडर के जुल हिज्जाह महीने के 10वें दिन भारत में संभवित 12 अगस्त को ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार मनाया जाएगा. मुस्लिम समुदाय में बकरीद सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है. इस दिन खुदा की इबादत में भेड़ या बकरी की कुर्बानी दी जाती है. सुबह नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी की रस्म की जाती है. खास बात है कि कुर्बानी के गोश्त का अधिकतर हिस्सा सिर्फ गरीब लोगों में तकसीम किया जाता है.

क्या है बकरीद का इतिहास

ईद उल अजहा के पीछे एक पुरानी कहानी बताई गई है जिसके अनुसार, हजरत इब्राहित अलैय सलाम के कोई भी संतान नहीं थी. इसलिए उन्होंने अल्लाह से औलाद की मांग की. काफी ज्यादा मिन्नतों के बाद इब्राहित अलैय सलाम के बेटा पैदा हुआ जिसका नाम स्माइल रखा गया. इब्राहिम अलैय सलाम अपने बेटे स्माइल से बेइंतहा प्यार करते थे और अपनी जान से ज्यादा चाहते थे.

एक रात सोते समय हजरत इब्राहिम अलैय सलाम को ख्वाब आया जिसमें अल्लाह पाक ने हजरत से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी. ऐसे में हजरत इब्राहिम को पूरी दुनिया में अपना बेटा स्माइल प्यारा था. लेकिन अल्लाह का हुक्म न मानना भी हजरत इब्राहिम अलैय सलाम के लिए मुमकिन नहीं था. आखिरकार खुदा पर अटूट भरोसे के साथ बेटे स्माइल की कुर्बानी के लिए तैयार हो गए. हालांकि उन्हें दुख न हो इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली.

जब हजरत इब्राबिम अपने बेटे स्माइल की कुर्बानी देने लगे तो अचानक किसी फरिश्ते ने छुरी के नीचे स्माइल को हटाकर दूंबे (भेड़) को आगे कर दिया. कुर्बानी के बाद जैसे ही हजरत इब्राहित ने आंखों से पट्टी उतारी तो बेटे स्माइल को सामने पाया. कहा जाता है कि उस दिन खुदा ने हजरत इब्राहिम अलैय सलाम के सब्र की परीक्षा ली. इसके बाद से ही ईद उल अजहा मनाई जाने लगी.

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