CoA On Cricketers Wife and Girlfriend: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का कामकाज देख रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की कमेटी (सीओए) ने कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शा्सत्री को क्रिकेटर्स की पत्नी और उनकी प्रेमिकाओं को विदेशी टूर पर जाने का शेड्यूल बनाने को कहा है. सीओए द्वारा कप्तान और कोच को ये अधिकार देने से बीसीसीआई काफी खफा है. बीसीसीसीआई के एक अधिकारी का कहना है कि इससे हितों में टकराव होगा. इससे पहले विदेशी दौरों पर क्रिकेट के पत्नियां या गर्लफ्रेेंड्स के जाने का फैसला बीसीसीआई करता था. वहीं लोढ़ा समित ने भी सीओए के इस फैसले पर हैरानी जताई है.
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का कामकाज देख रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कि गई प्रशासकों की समित (CoA) ने टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और हेड कोच रवि शास्त्री को आने वाले टीम इंडिया के विदेशी टूर के दौरान क्रिकेटर्स की पत्नी और गर्लफ्रेंड्स की यात्रा की जानकारी देने का जिम्मा सौंपा है. शुक्रवार को कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स ने कहा कि विदेशी दौरों पर क्रिकेटर्स की पत्नी और गर्लफ्रेंड्स जाएंगी या नहीं इसका फैसला कोच और कप्तान करें.
टीम इंडिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब विदेशी दौरे पर जाने वाले क्रिकेटर्स की पत्नियां और प्रेमिकाएं उनके साथ जाएंगी या नहीं इसका फैसला मुख्य कोच और कप्तान करेंगे. ऐसा पहली बार हुआ है जब ये अधिकार कोच और कप्तान को दिया गया है. इससे पहले विदेशी दौरों पर जाने से पहले क्रिकेटर्स की पत्नियां और गर्लफ्रेंड्स जाएंगी या नहीं इसकी अनुमति बीसीसीआई देता था.
क्रिकेट प्रशासकीय समित के इस फैसले से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ऑफिसर्स काफी हैरान है. सीओए को इस फैसले पर हैरानी जताते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने एक समाचार एंजेसी से बात करते हुए कहा कि इस मामले में बोर्ड के लोकपाल डीके जैन को कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस के मुताबिक लोकपाल को नए संविधान के खिलाफ कदम उठाने वाले को रोकना चाहिए.
वहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि पत्नी और प्रेमिकाओं के बारे में विदेशी दौरों पर जाने का फैसला कप्तान और कोच करेंगे इससे हितों का टकराव होगा. क्योंकि पहले इस मामले पर फैसला बीसीसीआई करता था. बीसीसीआई अधिकारी ने सीओए पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके द्वारा ऐसे कई फैसले लिए गए हैं जो न सिर्फ BCCI के नए संविधान का उल्लंघन करते हैं बल्कि लोढ़ा पैनल समिति की रिपोर्ट का भी उल्लंन करता है. अधिकारी के मुताबिक जब आप अपने लाभ के लिए फैसले लेते हैं तो ये हितों का टकराव होता है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएम लोढ़ा सीओए के इस फैसले से काफी परेशान है. उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि वाकई इन दो वर्षों में कुछ भी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृत मिलने के बाद हम संविधान को सही तरीके से लागू होते देखना चाहते थे. दो साल बीत गए लेकिन इस दिशा में कुछ भी बेहतर नहीं हुआ. वहीं बीसीसीआई अधिकारी का कहना है कि ये न सिर्फ हितों का टकराव है बल्कि इससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा. वहीं अब देखना दिलचस्प होगा कि लोकपाल डीके जैन इस मामले से निपटने के लिए कौन सा कदम उठाते हैं.