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Prabodhini Ekadashi 2019 Date Calendar: प्रबोधिनी एकादशी देवोत्थानी कबा है, क्या है इसका महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा

Prabodhini Ekadashi 2019 Date Calendar: प्रबोधनी एकादशी देवोत्थानी या देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. इस साल यह एकादशी 9 नवंबर 2019 को पड़ रही है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं प्रबोधिनी एकादशी व्रत का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा.

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apara ekadashi 2019
  • July 19, 2019 5:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. प्रबोधिनी एकादशी देवोत्थानी या देवउठनी एकादशी नाम से भी जानी जाती है. हिंदू शस्त्रों में प्रबोधिनी एकादशी को पापमुक्त करने वाली एकादशी माना जाता है. इसा साल यह एकादशी 8 नवंबर 2019 को पड़ रही है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार यह एकादशी कार्तिक महीने के 11 वें चंद्र दिवस (एकादशी तिथि) पर मनाया जाता है, जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर में अक्टूबर या नवंबर में आता है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं. देवशयानी एकादशी पर विष्णु जी चार महीने के लिए सोते हैं.

देवोत्थान एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त 2018

पारण का समय – सुबह 6.52 बजे से 8.58 बजे तक
पारण समाप्त – द्वादशी को दोपहर 2.40 बजे
एकादशी तिथि आरंभ – 18 नवंबर दोपहर 1.34 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त – 19 नवंबर दोपहर 2.30 बजे

प्रबोधिनी एकादशी पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नहा-धोकर तैयार हो जाएं. भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन निरहार व्रत किया जाता है और दूसरे दिन सुबह उठकर पूजा करके ही व्रत पूरा माना जाता है. पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है. कई लोग इस दिन रतजगा कर नाचते हैं गाते हैं और साथ ही भजन भी किया जाता है. प्रबोधिनी एकादशी वाले दिन बैल पत्र, शमी पत्र एवं तुलसी चढ़ाने का विशेष महत्व है. देवोत्थानी या देवउठनी एकादशी वाले दिन तुलसी विवाह का महत्व होता है.

https://www.youtube.com/watch?v=9O1Kq3qgMAk

प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार भगवान नारायण से लक्ष्मी जी ने कहा कि आप दिन-रात जागते हैं औऱ जब सोते हैं तो लाखों-करोड़ो वर्षों तक सो जाते हैं. उस समय समस्त चराचर नाश भी कर डालते हैं. ऐसे में आप प्रतिवर्ष नियम से निद्रा लिया करें मुझे भी आराम करने का समय मिल जाएगा. लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्काराकर बोले कि मेरे जागने से सब देवों को और खासकर तुमको कष्ट होता है. तुम मेरी सेवा में लगी रहती हो, तुम्हें सेवा से अवकाश नहीं मिलता. इसलिए तुम्हारे कथानुसार आज से मैं हर चार साल बारिश के मौसम में सोउंगा. उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश भी मिल जाएगा. इस काल में जो भक्त मेरी नींद की भावना कर मेरी सेवा करेंगे उनके घर में मैं तुम्हारे साथ निवास करुंगा.

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