नई दिल्ली. दस साल में पूरे देश की जनसंख्या वृद्धि दर या हिंदुओं के मुकाबले भले ही मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर ज्यादा हुई हो लेकिन हकीकत ये है कि मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार धीमी हो रही है. पिछली जनगणना में मुस्लिमों की आबादी की वृद्धि दर से तुलना की जाए तो पहले की तुलना में इसमें गिरावट आई है.
वर्ष 1981-1991 में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने की दर 32.9 फीसदी थी, जो 1991-2001 में घटकर 29.3 फीसदी हो गई और 2001-11 के ताजा आंकड़ों में ये दर घटकर 24.6 फीसदी हो गई है. हालांकि मुसलमानों के मुकाबले हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ने की दर कम तेजी से गिरी है. वर्ष 1981-1991 में हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ने की दर 22.8 फीसदी थी, जो 1991-2001 में घटकर 20 फीसदी हो गई और 2001-11 के ताजा आंकड़ों में ये दर घटकर 16.8 फीसदी हो गई. इस तरह से वर्ष 1981 से मुसलमानों की बढने की दर 32.9% से घटकर 24.6% पर आ गई. जबकि हिंदुओं की बढ़ने की दर 22.8% से घटकर 16.8% पर आ गई.
दिल्ली में वृद्धि की रफ्तार देश के मुकाबले डेढ़ गुनी
दिल्ली में मुस्लिम आबादी बढ़ने की दर 1.1 % दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत (0.8 %) से लगभग डेढ़ गुनी है. इस मामले में असम सबसे आगे है, वहां वर्ष 2001 से 2011 के दौरान मुस्लिम आबादी 3.3% की रफ्तार से बढ़ी. मणिपुर इकलौता राज्य है, जहां कुल जनसंख्या में मुस्लिमों की संख्या 0.4 % घट गई. यूपी में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 0.8 % और बिहार में 0.3 % है. उत्तर प्रदेश की 19.98 करोड़ की जनसंख्या में हिंदुओं की संख्या 15 करोड़ 93 लाख से ज्यादा है. जबकि मुस्लिम आबादी की संख्या तीन करोड़ 84 लाख से ज्यादा है. बिहार की दस करोड़ 49 लाख की आबादी में से 8 करोड़ 60 लाख से ज्यादा हिंदू और करीब एक करोड़ 75 लाख से ज्यादा मुसलमान हैं.
उत्तराखंड में मुस्लिमों की आबादी का आंकड़ा 11.9% से बढ़कर 13.9% हो गया. उत्तराखंड की एक करोड़ से ज्यादा आबादी में 83 लाख से ज्यादा आबादी हिंदू और 14 लाख से ज्यादा मुस्लिम हैं. झारखंड में यह दर 0.7 % है. हरियाणा में मुस्लिम आबादी पिछले एक दशक के दौरान 1.2 % की दर से बढ़ी है. जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा 68.3% मुस्लिम हैं। झारखंड में कुल आबादी तीन करोड़ 29 लाख 88 हजार से ज्यादा है. इनमें से करीब दो करोड़ 23 लाख से ज्यादा हिंदू और 47 लाख से ज्यादा मुसलमानों की आबादी है.
एजेंसी