Bihar UP Assam Floods: बारिश और बाढ़ से मौत की जिम्मेदार हैं सरकारें और जनता. भारत में बारिश के कारण हर वर्ष लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ता है, जबकि सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. अगर समय रहते अगर सरकारें नहीं चेतती हैं तो इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
नई दिल्ली. देशभर में भारी बारिश के कारण अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं और लगभग 3 लाख लोग बारिश की वजह से घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं. भारी बारिश की वजह से असम में नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिसकी वजह से राज्य के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. वही बिहार में नेपाल से पानी छोड़ने के कारण बाढ़ से अबतक 33 लोगों की मौत हो चुकी है. मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि अगले 24 घंटे में इन राज्यों में भारी बारिश हो सकती है इसलिए प्रशासन को भी अलर्ट पर रखा गया है. मानसून आते हीं भारत में बाढ़ की वजह से हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में लोगों की जानें जाती हैं, लेकिन प्रशासन फिर नहीं चेतता है. बारिश से निपटने के लिए सरकार की तरफ से फौरी तौर पर तो समस्याओं का हल कर दिया जाता है, लेकिन हमेशा के लिए उसका समाधान नहीं किया जाता है जिसकी वजह से हर वर्ष ये समस्या मुंह बाए खड़ी रहती है.
पिछले वर्ष भी यूपी, बिहार, उत्तराखंड और असम सहित कई राज्यों के लोगों के लिए बारिश काल बनकर आई थी जिसकी वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. पिछले वर्ष बारिश की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान केरल को उठाना पड़ा था. बाढ़ की वजह से केरल में लगभग 350 लोगों की मौत हुई थी. केरल में पिछले वर्ष आई तबाही ने 100 वर्षों का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया था. इस बाढ़ की वजह से केरल को 19,512 करोड़ रुपये के जान-माल नुकसान हुआ था. आकड़ों पर नजर डाले तो केरल में आई इस बाढ़ का सबसे बड़ा कारण वनों में तेजी के साथ हुई कटाई थी. राज्य सरकार की बनों पर कड़ी नीति न हो ने कारण कंक्रीट की इमारते खड़ी कर दी गई.
केरल में आय का प्रमुख साधन पर्यटन हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां पर नियमों को ताक पर रख कर विकास किया गया. हालांकि केरल में आई बाढ़ राज्य सरकार ने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को भी जिम्मेदार ठहराया था. क्योंकि तमिलनाडु की नदियों में पानी ज्यादा होने की वजह से पानी को केरल में छोड़ दिया गया जिसकी वजह से डैम तूट गए. इससे पहले केरल को बाढ़ से बचाने के लिए गाडगिल रिपोर्ट सौपी गई थी. गाडगिल रिपोर्ट में कई प्रकार की अनुशांसाएं की गई थी, लेकिन उस रिपोर्ट का खूब विरोध किया गया. रिपोर्ट्स की मानें तो अगर राज्य में गाडगिल रिपोर्ट्स को लागू किया गया होता तो राज्य में बाढ़ की वजह से इतनी तबाही नहीं आती.
ठीक इसी तरह अन्य राज्यों में भी हैं. असम की बात करें तो वहां पर हर वर्ष ब्रह्मपुत्र नदीं का जलस्तर बढ़ने के कारण कई जिलों में बाढ आ जाती और लाखों की संख्या में लोगों को घरों से बेदखल होना पड़ता है. इस वर्ष भी असम और अरुणाचल प्रदेश 17 राज्य बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. लोगों बचाने के लिए एनडीआरएफ और सेना के जवानों को मौके पर तैनात किया गया है और दो सप्ताह के लिए अधिकारियों की छुट्टियां भी कैंसिल कर दी गई है. इसस पहले मुंबई में भारी बारिश के कारण कई लोगों की मौत हो गई थी.
बारिश से वर्ष हो रही मौतों की सबसे बड़ी वजह सरकार की गलत नितियां और विकास के नाम पर भ्रष्ट्राचार की देन है. क्योंकि भारत को आजाद हुए आज 7 दशक से ज्यादा हो गए, लेकिन हम बारिश से बचने की नीति आज भी नहीं तैयार कर सकें हैं. विकास के नाम पर सरकारें पैसे तो खर्च कर ही हैं, लेकि उसकी इस्तेमाल अधिक समय के लिए नहीं किया जा रहा है. आज भी नदियों से 500 मीटर के दायरे में निर्माण धड़ल्ले के साथ किया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नदियों से 500 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगाया है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं. इनखबर डॉट कॉम इस बात से सहमत हो यह जरूरी नहीं है)