India Pakistan Kartarpur Corridor: करतारपुर कॉरिडोर मामले को लेकर हुई अधिकारियों की बैठक में पाकिस्तान ने 5000 हजार भारतीय तीर्थयात्रियों के प्रवेश को मंजूरी दे दी है. साथ ही भारतीय पासपोर्ट पर श्रद्धालुओं को वीजा फ्री एंट्री पर पाकिस्तान राजी हो गया. पुलवामा हमले के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान किसी मुद्दे पर नर्म दिखे हैं.
अटारी. पुलवामा आतंकी हमले के बाद हुई भारत औऱ पाकिस्तान की दुश्मनी के बादल अब छंटने लगे हैं. करतारपुर कॉरिडोर मामले में आखिरकार दोनों देश एक बार फिर श्रद्धा की डोरी से बंध गए हैं. चलिए दोनों मुल्कों के लोगों का मन बेशक न एक दूसरे से मिल रहा हो लेकिन भगवान की श्रद्धा में क्या दिल लगाना. उसके लिए क्या हिंदुस्तान और क्या पाकिस्तान. पंजाब के अटारी में हुई पाकिस्तान और भारत के अधिकारियों की बैठक में कई बड़े फैसले किए गए जो दोनों देशों में शांति और अमन का संदेश देंगे. भारतीय धारकों को वीजा फ्री एंट्री पर भी पाकिस्तान सहमत है, ओआईसी कार्ड धारकों को भी वीजा फ्री एंट्री मिलेगी. 5000 तीर्थयात्रियों की एंट्री को भी पाकिस्तान मान गया है जबकि पहले वह सिर्फ 700 की बात कर रहा था. वहीं रावी नदी पर पुल बनाने की मांग को भी पाकिस्तान ने सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे दी है. पाकिस्तान की इमरान खान सरकार का रवैया साफ दर्शा रहा कि वह भारत से दोस्ती चाहता है और कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी सरकार इस ओर अपने कदम बढ़ाने लगी है.
लोकसभा चुनाव के बाद हो गई भारत- पाकिस्तान की दोस्ती
यूं तो आज भी नरेंद्र मोदी सरकार पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पर आतंकवाद के मामले पर कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. लेकिन कहीं न कहीं सरकार सिर्फ इसी वजह से एक पड़ोसी देश से रिश्ते ज्यादा खराब नहीं करना चाहती है वो भी उस समय जब सरकार के पास पूरा पांच साल का कार्यकाल हो. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पुलावामा हुआ जिसकी धमक पूरे चुनाव प्रचार में गूंजती रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी रैलियों में पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला और विपक्षी दलों को उसका हमदर्द बताया. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा पूरे चुनाव में जोरों पर रहा. बीजेपी ने सुरक्षा के मुद्दे को ही अपनी धार बनाया और शानदार जीत हासिल की. अब सरकार के पास पूरे पांच साल है और एक सफल नेता की पहचान होती है कि वह अपने कार्यकाल में देश के भीतरी मामलों के साथ विदेश नीति पर पकड़ बनाए रखे. और इसी गुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महारत हासिल है, वे जानते हैं कि एक पड़ोसी देश की अहमयित कारोबार या दूसरे मामलों में कितनी जरूरी है. यही वजह भी है कि रिश्ते बिगड़ने के बावजूद भी भारत और पाकिस्तान श्रद्धा को लेकर एक जैसा सुर बोल रहे हैं.
2nd round of talks with Pakistan on #KartarpurCorridor held today. Progress made in discussions on modalities & draft Agreement. We are fully confident to commence pilgrimage through #KartarpurCorridor on 550th birth anniversary of Guru Nanak in Nov 2019. https://t.co/vyHtpehUz5 pic.twitter.com/ipU4ThjGE9
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) July 14, 2019
पुलवामा हमले में जो रिश्ते बिगड़े क्या अब वे सुधर पाएंगे?
14 फरवरी को वो काला दिन जब एक ओर पूरी दुनिया वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट कर रही तो वहीं आतंकी हमले में भारत के 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए. उस समय देश में गुस्से का उबाल था और नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इंसाफ मांग रही थीं. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के मसूद अजहर के जैश ए मोहम्मद संगठन ने ली जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए. पाकिस्तान के संगठन की इस हरकत का जवाब देते हुए भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर मसूद अजहर के आतंकी कैंप तबाह कर दिए. अगले दिन पाकिस्तान ने भी भारतीय एलओसी में घुसने की नापाक कोशिश की जिसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए इंडियन एयरफोर्स ने पाक सेना के विमानों को बाहर खदेड़ दिया. इस दौरान हमारा एक विमान क्षतिग्रस्त हो गया और विंग कमांडर पायलट अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान सेना ने गिरफ्तार कर लिया.
अभिनंदन के पाकिस्तान में होने के बाद भारत में लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. नरेंद्र मोदी सरकार में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तेजी से एक्शन लेते हुए पाकिस्तान को जिनेवा संधी के तहत अभिनंदन वर्तमान को जल्द से जल्द छोड़ने की चेतावनी दी. भारत की चेतावनी के बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अभिनंदन की रिहाई का आदेश दे दिया जिसके बाद विंग कमांडर को वापस भारत भेज दिया गया. इस पूरे मामले के दौरान पाकिस्तान शांति की बात करता नजर आया. चाहे पीएम इमरान खान हो या आमी प्रवक्ता मेजर जनरल अब्दुल गफूर सभी ने न डरने की गीदड़ भभकी देते हुए भारत से शांति की अपील की. अब दोनों देशों की सरहद पर शांति तो बेशक हो गई लेकिन लोगों के मन में शहीद जवानों का गुस्सा जूं का तूं भरा रहा. ऐसी हालत में काफी मुश्किल लगता है कि इतने जल्द पुलवामा हमले के बाद बिगड़े रिश्ते सुधर जाएंगे. सरकारें दोस्ती कर लें लेकिन देशवासियों को शायद अभी समय लग जाए.