Gupt Navratri 2019 on 3 July: हिंदू वर्ष में चार नवरात्रियां आती हैं, जिनमें से दो प्रकट ओर दो गुप्त होती हैं. चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि तथा माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार की आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 3 से 10 जुलाई तक रहेगी. गुप्त नवरात्रियों का महत्व प्रकट नवरात्रियों से अधिक होता है. ये दिन देवी की साधना करने वाले साधकों के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं.
नई दिल्ली. Gupt Navratri 2019 on 3 July: हिंदू वर्ष में चार नवरात्रियां आती हैं, जिनमें से दो प्रकट ओर दो गुप्त होती हैं. चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि तथा माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार की आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 3 से 10 जुलाई तक रहेगी. आपको जानकर हैरानी होगी कि गुप्त नवरात्रियों का महत्व प्रकट नवरात्रियों से अधिक होता है. ये दिन देवी की साधना करने वाले साधकों के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों में साधक विभिन्न प्रकार की सिद्धिया प्राप्त करते हैं. दस महाविद्याओं की साधना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जा जाता है. इस आर्टिकल में हम आपको आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, समय और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताएंगे.
गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें
हिंदू धर्म में मान्यता है कि सामान्य गृहस्थ साधक भी यदि गुरू के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें तो वह समस्त प्रकार के सांसारिक सुख , ऐश्वर्यशाली जीवन, मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, भूमि, संपत्ति हासिल कर सकता है. ये दस महाविद्याएं हैं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगसामुखी मातंगी और कमला है. इन दस महाविद्याओं के तीन समूह है. पहला सौम्य कोटि, दूसरा उग्र कोटि और तीसरा सौम्य उग्र कोटि है. साधक अपने गुरू के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी के इन स्वरूपों की साधना और इनके मंत्र का जप कर सकता है.
जानिए क्या होता है गुप्त नवरात्रि में
गुप्त नवरात्रि के दौरान ऐसे करें पूजा
जानिए क्या होता है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में अंतर
सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है. वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है.
गुप्त नवरात्रि में साधना को गोपनीय रखा जाता है. साधक को केवल अपने गुरू से ही साधना की चर्चा करने की अनुमति होती है.
माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही ज्यादा मिलेगी.
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