नई दिल्ली. 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े करने वाले बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने बर्खास्ती पर एक कविता के जरिए प्रतिक्रिया दी है. कविता का सार ये है कि वो सच के साथ हैं और सरकार झूठ के साथ इसलिए दोनों में समझौता नहीं हो सकता था.
भट्ट ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर अंग्रेजी में यह कविता छापी है जिसे
आउटलुक हिन्दी की वेबसाइट ने हिंदी अनुवाद करके छापा है.
पढ़ें भट्ट की कविता.
मेरे पास सिद्धांत हैं और कोई सत्ता नहीं
तुम्हारे पास सत्ता है और कोई सिद्धांत नहीं
तुम्हारे तुम होने
और मेरे मैं होने के कारण
समझौते का सवाल ही नहीं उठता
इसलिए लड़ाई शुरू होने दो …
मेरे पास सत्य है और ताकत नहीं
तुम्हारे पास ताकत है और कोई सत्य नहीं
तुम्हारे तुम होने
और मेरे मैं होने के कारण
समझौते का सवाल ही नहीं उठता
इसलिए शुरू होने दो लड़ाई …
तुम मेरी खोपड़ी पर भले ही बजा दो डंडा
मैं लड़ूंगा
तुम मेरी हड्डियां चूर-चूर कर डालो
फिर भी मैं लड़ूंगा
तुम मुझे भले ही जिंदा दफन कर डालो
मैं लड़ूंगा
सच्चाई मेरे अंदर दौड़ रही है इसलिए
मैं लड़ूंगा
अपनी अंतिम दम तोड़ती सांस के साथ भी
मैं लड़ूंगा …
मैं तब तक लड़ूंगा, जब तक
झूठ से बनाया तुम्हारा किला
ढह कर गिर नहीं जाता
जब तक जो शैतान तुमने अपने झूठों से पूजा है
वह सच के मेरे फरिश्ते के सामने घुटने नहीं टेक देता