Daitari Naik to Return Padma Shri Award: ओडिशा का मांझी और कैनाल मैन कहे जाने वाले पद्मश्री विजेता दैतारी नायक अपना पद्मश्री अवार्ड लौटाना चाहते हैं. दैतारी नायक का कहना है कि पहले वे दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे लेकिन पद्मश्री मिलने के बाद उन्हें लोग सम्मान करते हैं और कोई काम नहीं देता. ऐसे में दैतारी नायक के परिवार की माली हालत काफी खराब हो चुकी है. वे चीटियों के अंडे खाकर अपना गुजारा करने को मजबूर हैं. दैतारी नायक का कहना है कि पद्मश्री मिलने से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ जबकि उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हुई है इसलिए उन्होंने इस अवार्ड को लौटाने का फैसला लिया है. दैतारी नायक को इसी साल अपने गांव में पहाड़ खोदकर 3 किलोमीटर लंबी नहर बनाने के लिए पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया था.
भुवनेश्वर. ओडिशा के मांझी के नाम से मशहूर पद्मश्री विेजेता दैतारी नायक मुफलिसी भरा जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. ये वही दैतारी नायक हैं जिन्होंने तीन साल में पहाड़ से 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली और अपने गांव के किसानों के लिए सिंचाई का साधन खोज निकाला था. उन्होंने यह कारनामा 70 साल की उम्र में कर दिखाया था. इस कारनामे से उन्हें अपने राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में पहचान मिली थी. भारत सरकार ने उन्हें इसी साल पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा. दैतारी नायक को ओडिशा का मांझी और कैनाल मैन के नाम से भी जाना जाता है. मगर ओडिशा का मांझी और कैनाल मैन वर्तमान में गरीबी का जीवन जीने के लिए मजबूर है. अपने गांव वालों को सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए जिन्होंने पहाड़ से 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली थी आज वही दैतारी नायक चींटियों के अंडे खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं. उनके परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. इसलिए दैतारी नायक ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का फैसला लिया है.
ओडिशा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल से दैतारी नायक नहर को पक्की करवाने के लिए अनुरोध कर रहे हैं लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. दैतारी का कहना है, ‘हमारे गांव में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. पक्की सड़क नहीं है. आंगनवाड़ी केंद्र नहीं है. अस्पताल नहीं है. बीमारी के वक्त हमें 5-7 किलोमीटर दूर पैदल चलकर इलाज करवाने जाना पड़ता है. पेयजल की कोई सुविधा नहीं है. हमारी परेशानियां अभी भी वैसी ही हैं जैसी पहले थीं. मैं पद्मश्री अवार्ड का क्या करूंगा, उसका मेरे लिए कोई उपयोग नहीं है. इसलिए मैंने पद्मश्री लौटाने का निर्णय लिया है.’
वहीं दैतारी नायक के बेटे का कहना है कि उनके पिता पहले दिहाड़ी मजदूरी का काम करते थे. जब उन्हें पद्मश्री अवार्ड मिला तो काम मिलना भी बंद हो गया. लोग उनका सम्मान करने लगे और उन्हें मजदूरी का काम कोई नहीं देता. लोग कहते हैं कि वे अब बड़े लोग बन गए हैं. मगर हकीकत यह है कि जबसे पद्मश्री मिला है दैतारी को कोई काम नहीं मिला. उनके परिवार की माली हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दैतारी नायक ने बातचीत में कहा कि हम अभी चीटियों के अंडे खाकर गुजारा कर रहे हैं. वे फिलहाल अपने परिवार का खर्च निकालने के लिए तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचने का काम कर रहे हैं. लेकिन उसमें कोई ज्यादा आमदनी नहीं है. सरकार की तरफ से उन्हें 700 रुपये की मासिक पेंशन भी मिलती है लेकिन वो भी नाकाफी है. इसके अलावा इंदिरा आवास योजना के तहत दैतारी नायक को घर भी आवंटित हुआ था लेकिन वह अब तक अधूरा ही है, जिस कारण उनका परिवार टूटे कच्चे मकान में रहने के लिए मजबूर है. अपने हालात से आहत दैतारी नायक ने पद्मश्री अवार्ड लौटाने का फैसला किया है.