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Triple Talaq Bill Passed In Lok Sabha: तीन तलाक बिल को पेश करने वाला विधेयक लोकसभा में पास, जेडीयू का विरोध, विपक्ष और कांग्रेस सांसदों का हंगामा

Triple Talaq Bill introduced in LokSabha: संसद का पहला सत्र जारी है और यह 26 जुलाई तक चलेगा. मुस्लिम समाज में पति को ओर से पत्नी को दिए जाने वाले इंस्टेंट तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए आज यानी शुक्रवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश करने को लेकर वोटिंग हुई जिसमें पास होने के बाद मोदी सरकार के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश किया. कांग्रेस, जेडीयू समेत कई दलों ने तीन तलाक बिल का विरोध किया है. मोदी सरकार इससे पहले दो बार संसद में तीन तलाक अध्यादेश को पास कर चुकी है, लेकिन उस समय बिल राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था.

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Triple Talaq Bill introduced in Lok Sabha
  • June 21, 2019 10:29 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली: तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश होगा या नहीं इस प्रस्ताव को लेकर लोकसभा में शुक्रवार को वोटिंग हुई जो बहुमत से पास हो गया. इसके बाद  मुस्लिम समाज में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के लिए नया विधेयक केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में पेश किया.  जिसका बीजेपी की बिहार में सहयोगी और एनडीए का हिस्सा रहे जेडीयू ने विरोध किया है. कांग्रेस समेत कई अन्य दल भी तीन तलाक बिल के विरोध में हैं. 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो बार संसद में तीन तलाक बिल पेश किया गया था, लेकिन उस वक्त राज्यसभा में बिल लंबित था. इस बीच समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान ने कहा है कि वह कुरान में लिखी बातों को ही मानेंगे. एआईएमआईए सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक को लेकर संसद में पेश नया बिल मुस्लिम अधिकारों की रक्षा करेगा.

आपको बता दें कि लोकसभा में अगर कोई बिल पारित हो जाता और राज्यसभा में लंबित रहने की स्थिति में लोकसभा भंग होने पर वह बिल निष्प्रभावी हो जाता है. मोदी सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. दिसंबर 2018 में बिल लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. इस बिल को लेकर विपक्ष की पार्टियों ने बिल को दोबारा निरीक्षण के लिए संसद की सिलेक्ट कमेटी को भेजनी की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया थाबु. पिछले महीने लोकसभा भंग होने कारण पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह विधेयक राज्यसभा में लंबित था.

मालूम हो कि इस मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक को अवैध और अमान्य बताया गया है. अपनी पत्नी को तीन तलाक देने वाले पति को इस बिल में तीन साल की सजा का प्रावधान है. संसद के पहले सत्र शुरू होने के तीसरे दिन बुधवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी थी. यह अध्यादेश पिछले कार्यकाल में फरवरी 2019 महीने में लाए अध्यादेश की जगह लेगा. मोदी सरकार का कहना है कि यह बिल समाज में लैंगिक समानता व लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा. इसके अलावा मुस्लिम समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकेगा और उनके अधिकारों की रक्षा करेगा.

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