पहली बार पीएम बनने के दिन भी इंदिरा गांधी थी इन दो बातों से काफी उदास

पीएम पद यानी लोकसभा में नेता सत्ता पक्ष बनने के लिए 1966 में हुई वोटिंग में इंदिरा गांधी को 355 और मोरारजी देसाई को केवल 169 वोट मिले. इंदिरा भी अपने 8 दिन की इस लम्बी जद्दोजहद के बाद पीएम चुने जाकर काफी खुश थीं. लेकिन पांच दिन बाद यानी 24 जनवरी 1966 को उन्होंने शपथ ली तो इन दो बातों से थीं, बेहद उदास.

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पहली बार पीएम बनने के दिन भी इंदिरा गांधी थी इन दो बातों से काफी उदास

Aanchal Pandey

  • November 7, 2017 10:37 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: पीएम पद यानी लोकसभा में नेता सत्ता पक्ष बनने के लिए 1966 में हुई वोटिंग में इंदिरा गांधी को 355 और मोरारजी देसाई को केवल 169 वोट मिले. मोरारजी भले ही कितने भी तजुर्बेकार हों, लेकिन लोकप्रियता के पैमाने पर पिछड़ गए थे, इंदिरा भी अपने 8 दिन की इस लम्बी जद्दोजहद के बाद पीएम चुने जाकर काफी खुश थीं. लेकिन पांच दिन बाद यानी 24 जनवरी 1966 को उन्होंने शपथ ली तो इन दो बातों से थीं, बेहद उदास. पहली बात तो ये कि जिस दिन उन्हें शपथ लेनी थी, उसी सुबह खबर आई कि भारत के मशहूर न्यूक्लियर साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा का प्लेन एक्सीडेंट हो गया है. इंदिरा के लिए ये शॉक था, क्योंकि नेहरू के पीएम रहते ही भाभा से इंदिरा के बेहतरीन रिश्ते थे.

दूसरा मामना कामराज से जुड़ा था, कामराज ने अपनी हिंदी मजबूत ना होने की वजह से पीएम पद का दावा जरूर छोड़ दिया था, लेकिन वो किंगमेकर की भूमिका से पीछे नहीं हटना चाहते थे. वो सत्ता के हर फैसले में खुद का दखल चाहते थे. पीएम बनने पर कामराज ने इंदिरा से शास्त्री केबिनेट के सारे मंत्री बनाए रखने को कहा, इंदिरा बमुश्किल बस अशोक मेहता, फखरुद्दी अली अहमद और दिनेश सिंह को ही शामिल कर पाईं. शपथ के रोज सुबह इंदिरा गांधीजी की समाधि पर राजघाट गईं और तीन मूर्ति भवन भी, नेहरू को श्रद्धांजलि देने.

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