November 2, 2017 7:16 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
अहमदाबाद. संजय लीला भंसाली की रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म ‘पद्मावती’ पर विवाद थमने के नाम नहीं ले रहा है. पहले राजस्थान के राजपूत समाज ने फिल्म का विरोध किया था. उसके बाद गुजरात में कांग्रेस छोड़ चुके वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने भी पद्मावती के गुजरात में रिलीज करने का विरोध किया था. लेकिन अब गुजरात बीजेपी पद्मावती के विरोध में उतर आई है. बीजेपी के नेताओं ने फिल्म का विरोध करते हुए इस फिल्म पर बैन या फिर गुजरात में इसकी रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है. गुजरात बीजेपी के प्रवक्ता आईके जडेजा ने मांग है कि या तो राज्य में फिल्म की रिलीज टाली जाए या इस पर प्रतिबंध लगे. इसके अलावा पार्टी चाहती है कि बिना प्री-स्क्रीनिंग के यह फिल्म प्रदर्शित न की जाए.
भारत निर्वाचन आयोग और गुजरात मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखते हुए बीजेपी ने राजपूत प्रतिनिधियों को रिलीज से पहले से फिल्म दिखाने की व्यवस्था करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इससे उनका पारा नीचे जाएगा और चुनावों से पहले किसी तरह की तनावपूर्ण स्थिति से भी बचा जा सकेगा. बता दें कि गुजरात में राजपूत समाज के अग्रणी लोगों में गिने जाने वाले और बीजेपी के प्रवक्ता आई के जाडेजा ने बताया कि राज्य के क्षत्रिय राजपूत समाज के प्रतिनिधियों ने सरकार के आला मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्मा, प्रदीप सिंह जाडेजा, किरीट सिंह राणा आदि से मुलाकात कर राज्य में पद्मावती के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है.
बीजेपी के अनुसार इतिहास के मुताबिक पद्मावती और अलाउद्दीन की मुलाकात कभी नहीं हुई. उन्होंने दावा किया कि फिल्म में राजस्थान की गौरवशाली परंपरा के साथ खिलवाड़ किया गया है. फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी व पद्मावती की मुलाकात का दृश्य है जबकि दोनों के बीच कभी मुलाकात हुई ही नहीं थी. वहीं बीजेपी ने इस फिल्म से राजपूत और क्षत्रिय समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात कही है.
बता दें कि 1 दिसंबर को रिलीज हो रही फिल्म में रणवीर सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में हैं, दीपिका रानी पद्मावती की भूमिका में हैं और शाहिद महाराज रतन सिंह का किरदार निभा रहे हैं. फिल्म की कहानी रानी पद्मावती के जीवन पर आधारित है. इससे पहले कांग्रेस छोड़ चुके वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने धमकी दी थी कि गुजरात में रिलीज से पहले फिल्म क्षत्रीय समुदाय के प्रतिनिधियों को दिखाई जाए वर्ना हिंसक प्रदर्शन होंगे.