छठ पूजा 2017: 26 अक्टूबर को है छठ पूजा का पहला अर्घ्य, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
दिवाली के छह दिन छठ का पर्व मनाया जाता है. ये त्योहार चार दिनों तक चलता है. इसकी मान्यता इतनी है कि इस इकलौते पर्व को महापर्व की संज्ञा दी गई है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.
October 25, 2017 7:07 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. दिवाली के छह दिन छठ का पर्व मनाया जाता है. ये त्योहार चार दिनों तक चलता है. इसकी मान्यता इतनी है कि इस इकलौते पर्व को महापर्व की संज्ञा दी गई है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो ये त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है कि तीसरे दिन इस त्योहार पर लोग घाट पर सज-धज कर अर्घ्य देने जाते है. तीसरे दिन यानि सांझ का अर्घ्य होता है. इस दिन प्रसाद बनाकर नहर, तालाब, नदी आदि पर ले जाया जाता है. और सूर्य देवता की उपासना की जाती है. इस बार छठ का 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी. जब अन्य लोग पर घाट पर जाकर छठ की तैयारियां देखर स्तब्ध हो जाते हैं.
कल छठ पूजा है. इस दिन महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. छठ साल में दो बार मनाई जाती है. एक छठ चैत्र में होली के आस-पास आती है तो दूसरी कार्तिक माह में. छठ पूजा पर कई कथाएं प्रचलित है. जैसे मान्यता है कि देवासुर लड़ाई में जब देवता हार गए तो देव माता अदिति ने पुत्र प्राप्ति के लिए देव के जंगलों में मैया छठी की पूजा अर्चना की थी. इस पूजा से खुश होकर छठी मैया ने आदित्य को पुत्र को पुत्र दिया और उसके बाद छठी मैया की देन इस पुत्र ने सभी देवतागण को जीत दिलाई. तभी से मान्यता चली आ रही कि छठ मैया की पूजा-अर्चना करने से सभी दुखों का निवारण होता है. इसी प्रकार कहा जाता है कि छठ माईया का व्रत माता सीता ने भी किया था. माता सीता ने वनवास से लौटते वक्त छठ का व्रत किया था. तीसरी कथा के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत को द्रोपदी ने भी किया था. जब पांचों पांडव अपना सारा राज-पाठ जुए में हार गए थे तब द्रोपदी ने इस व्रत को किया था.
छठ पूजा विधि व सांझ का अर्घ्य
छठ पूजा 4 दिनों तक की जाती है. इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है. इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है. छठ पूजा उत्सव के पंचमी को सांझ का अर्घ्य दिया जाएगा. इस दौरान बनाया गया प्रसाद घाट पर ले जा कर पूजा की जाएगी. फिर तालाब में खड़े होकर सूप में फल, फूल और प्रसाद को लेकर अर्घ्य दिया जाता है.