छठ पर बिहार-पूर्वांचल जाने वाले ध्यान दें- ट्रेन फुल, फ्लाइट का किराया 6 हजार पार, बस ही एक मात्र सहारा
दिवाली के साथ ही पूरे देश के लिए त्योहारों का सीजन भले ही खत्म हो गया हो, मगर बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए असल त्योहार तो अब शुरू हुआ है. लोक आस्था का महापर्व कहे जाने वाले छठ पूजा में घर जाने के लिए आज कल बिहारियों का पलायन उलटी दिशा में हो रहा है. यानी कि परदेस में काम करने वाले या नौकरी करने वाले हर वर्ग के बिहारी छठ में घर की ओर रूख करते हैं. इस बार भी ये हुजूम भारतीय रेल पर टूट पड़ा. हालत ऐसी है कि छठ पर्व मनाने के लिए लोग टॉयलेट की सीट पर बैठकर भी सफर करने को मजबूर हो रहे हैं. छठ में घर जाने वाले लोगों की संख्या देखकर भारतीय रेल अपना हाथ ऊपर उठा चुकी है. ट्रेनों में न सीट है और न ही वेटिंग लेकर बैठने की जगह. ट्रेनें पूरी तरह से खचाखच भरी चल रही हैं. छठ स्पेशल ट्रेनों की हालत भी वैसी ही है. हवाई जहाज का भाड़ा भी इतना महंगा है कि मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी अफोर्ड करना मुश्किल हो रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो छठ पूजा में बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए घर जाने के लिए मुख्य जरिया ट्रेन फेल हो चुका है. जिनकी टिकट पहले से ही, बस वही ट्रेन का सफर कर रहे हैं. वरना लोग कई-कई दिनों तक वेटिंग टिकट लेकर स्टेशन पर आशियाना लगाए हुए हैं और ट्रेन में जगह मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
October 20, 2017 4:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. दिवाली के साथ ही पूरे देश के लिए त्योहारों का सीजन भले ही खत्म हो गया हो, मगर बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए असल त्योहार तो अब शुरू हुआ है. लोक आस्था का महापर्व कहे जाने वाले छठ पूजा में घर जाने के लिए आज कल बिहारियों का पलायन उलटी दिशा में हो रहा है. यानी कि परदेस में काम करने वाले या नौकरी करने वाले हर वर्ग के बिहारी छठ में घर की ओर रूख करते हैं. इस बार भी ये हुजूम भारतीय रेल पर टूट पड़ा. हालत ऐसी है कि छठ पर्व मनाने के लिए लोग टॉयलेट की सीट पर बैठकर भी सफर करने को मजबूर हो रहे हैं. छठ में घर जाने वाले लोगों की संख्या देखकर भारतीय रेल अपना हाथ ऊपर उठा चुकी है. ट्रेनों में न सीट है और न ही वेटिंग लेकर बैठने की जगह. ट्रेनें पूरी तरह से खचाखच भरी चल रही हैं. छठ स्पेशल ट्रेनों की हालत भी वैसी ही है. हवाई जहाज का भाड़ा भी इतना महंगा है कि मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी अफोर्ड करना मुश्किल हो रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो छठ पूजा में बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए घर जाने के लिए मुख्य जरिया ट्रेन फेल हो चुका है. जिनकी टिकट पहले से ही, बस वही ट्रेन का सफर कर रहे हैं. वरना लोग कई-कई दिनों तक वेटिंग टिकट लेकर स्टेशन पर आशियाना लगाए हुए हैं और ट्रेन में जगह मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
भारतीय रेल से उम्मीद रखना बेकार
अगर ट्रेनों को लेकर आपको अब भी यकीन नहीं हो रहा है, तो आप खुद आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं. छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. इसलिए जाहिर सी बात है लोग नहाय खाय यानी 24 अक्टूबर से एक दिन पहले घर पहुंचना चाहेंगे. अगर आप वेबसाइट पर 23 अक्टूबर का टिकट चेक करेंगे तो दिल्ली से पटना के लिए किसी भी ट्रेन में एक भी टिकट खाली नहीं है. यही हाल दिल्ली से मुजफ्फरपुर जाने वाली ट्रेनों का भी है. अगर इसके बाद भी आप वेटिंग लेकर चलने की सोच रहे हैं तो ट्रेनों में टिकट रिग्रेट हो चुकी हैं. कहीं कोई टिकट नहीं है. मतलब ये कि अब छठ में जाने के लिए जिनके पास टिकट अब तक नहीं है उनके पास ट्रेन से अब कोई उम्मीद भी नहीं है. इसलिए छठ पूजा में जाने के लिए ट्रेन का विकल्प पूरी तरह से खत्म हो गया है.
हवाई जहाज का सफर काफी महंगा
अब दूसरा विकल्प हवाई जहाज बचता है. याद रहे हवाई जहाज अफोर्ड कर पाना सबके लिए इतना आसान नहीं है. जो दिल्ली जैसे बड़े शहर में 12-15 हजार की नौकरी करते हैं उनके लिए हावाई जहाज में करीब 6 हजार फंसाना इतना आसान नहीं. फिर भी अगर आप छठ महापर्व मनाने के लिए हवाई जहाज से सफर करना चाहते हैं तो यहां भी आपको कुछ खास हाथ नहीं आएगा. कारण कि बिहार में दो ही एयरपोर्ट हैं. इसलिए फ्लाइट के लिए भी वेबसाइट पर जाएंगे तो 23 अक्टूबर को दिल्ली से पटना जाने वाली फ्लाइट का सबसे कम किराया तकरीब 6 से साढ़े 6 हजार रुपये है. वहीं, दिल्ली से गया जाने वाली फ्लाइट का किराया करीब 21 हजार रुपये है. हालांकि, बिहार के पूर्णिया और किशनगंज इलाके में जाने के लिए पश्चिम बंगाल का बागडोगरा एयरपोर्ट नजदीक पड़ता है. अगर दिल्ली से इस एयरपोर्ट पर भी जाना चाहते हैं तो आपको करीब 65 सौ रुपये अदा करने होंगे. इसलिए फ्लाइट से अच्छा पैसा कमाने वाले लोग ही सफर कर सकते हैं.
बस सेवा ही एक मात्र विकल्प
अब सवाल आता है कि आखिर बिहार और पूर्वांचल के लोग छठ मनाने अपने घर कैसे जाएं. क्या वो इस बार अपने महान पर्व छठ को घर से दूर रहकर ही मनाएंगे? क्या ट्रेन और हवाई जहाज के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं है जिससे वो अपने घर जा सकें और छठ मना सकें. मगर ऐसा नहीं है. इस साल दिल्ली से बिहार जाने के लिए बड़ी संख्या में बसें चल रही हैं. इसलिए इस बार दिल्ली से बिहार जाने वाले लोगों के लिए ट्रेन के अलावा बस भी एक बेहतर विकल्प है. हालांकि, ट्रेन के मुकाबले बस थोड़ा सा महंगा है, मगर छठ की इस खचाखच भीड़ में घर जाने के लिए बस एक बेहतर विकल्प है. दिल्ली से बिहार जाने के लिए करीब 50 से अधिक प्राइवेट बसें चल रही हैं. इन बसों का किराया 2 हजार से लेकर 3 हजार तक है. ये बसें पूरी तरह से एसी हैं. सीटर और स्लीपर दोनों तरह की व्यवस्था है. इसलिए ऐसे लोग जो अभी भी घर जाने के इंतजार में हैं और उन्हें जाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा तो वैसे लोग देर न करें और तुरंत ही बस की टिकट बुक करा लें.
दिल्ली से बिहार जाने के लिए यहां से है बस
दिल्ली से बिहार के लिए जो बसें चल रही हैं वो बिहार के कई जिलों के लिए हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर, सिवान, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सुपौल, दरभंगा आदि जिलों के लिए दिल्ली से बस सेवा है. इन बसों में भी छठ को लेकर काफी मारा-मारी चल रही है. मगर बसों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है, जिसके कारण यात्रियों को टिकट मिल ही जाती है. हालांकि, बस में टिकट पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर मिल रही है. इसलिए अब ट्रेन का राह तकना छोड़िये और सीधे बसों का रुख कीजिए. बस के लिए आपको आनंद विहार बस स्टैंड के बगल में जाना होगा. दिल्ली से बिहार जाने वाली बसें सारी प्राइवेट हैं, इसलिए इसके लिए आनंद विहार बस टर्मिनल में इजाजत नहीं मिली है. इसलिए ये बसें आनंद विहार मेट्रो के बगल में पिलर संख्या 214 के आस-पास से खुलती हैं.
इसके अलावा एक और विकल्प खुले हुए हैं कार पुलिंग का. दिल्ली में ऐसे बहुत से लोग हैं जो ट्रेन की मारा-मारी और हवाई जहाज के महंगे सफर से बचने के लिए कार से ही दिल्ली से बिहार का सफर करना चाहते हैं. बावजूद इसके सबसे बेहतरीन विकल्प के तौर पर अभी बस सेवा ही दिख रही है. अब रास्ते भी पहले की तुलना में काफी बेहतर हो गये हैं, जिसकी वजह से दिल्ली से बिहार बस से जाना मुश्किल काम नहीं है. सबसे खास बात इन बसों की ये है कि ये बसें ट्रेन से पहले पहुंचा दे रही हैं. अभी दिल्ली से पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर जाने वाली अधिकतर ट्रेनें लेट चल रही हैं. अधिकतर बिहार जाने वाली ट्रेनें 24 घंटे से ज्यादा समय लगा रही हैं. मगर बिहार जाने वाली बसें ट्रेन से 6 घंटे पहले पहुंचा दे रही हैं. इसलिए छठ पर जो लोग अभी घर नहीं गये हैं और वैसे लोग जिनके पास जाने के लिए ट्रेन का टिकट नहीं है, वैसे लोग ट्रेनों का आसरा छोड़ बस का टिकट ले लें तो ही बेहतर है. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि छठ में भाग्य वाले ही घर पहुंचते हैं. छठ पूजा में जो घर नहीं जाते हैं उन्हें अभागा ही कहा जाता है पूर्वांचल और बिहार में.