नई दिल्ली. महान दार्शनिक अरस्तु का मनुष्य मोबाइल फोन के क्षेत्र में तमाम तकनीकी विकास के साथ एक सामाजिक प्राणी से सोशल मीडिया का जीव-जंतु बन चुका है. कुछ लोग जीव हैं और कुछ जंतु. पहले गांवों में सुबह और शाम की बैठकी लगती थी. छोटे शहरों में ये काम चौक-चौराहे पर चाय-पान की दुकान से लगे बेंच पर चलता था. उससे भी बड़े शहर यानी महानगरों में मेल-जोल का ये काम फ्लोर के बरामदे में या सोसाइटी की गेट पर भी हो सकता था, पर प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ की भागमभाग में किसी ने इसे आजमाने की जरूरत नहीं समझी.
अपार्टमेंट के बाहर भी चाय, पान के साथ-साथ नाई और धोबी की दुकानें लगती हैं पर उन दुकानों पर कोई जमघट नहीं लगता जहां देश और दुनिया के मसलों पर बातचीत हो, राजनीति की बात हो. जिन लोगों के हाथ में 2 जी, 3 जी, 4 जी जैसे डेटा से लैस मोबाइल फोन हैं वो ये सारा काम आजकल फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप्प पर निपटाते हैं. ट्विटर और फेसबुक दोनों ही सोशल मीडिया के सबसे बड़े आधुनिक चौक-चौराहे हैं जहां गालियां बरसती हैं और अच्छे-भले लोग परेशान होते रहते हैं.
सोशल मीडिया के जमाने में बदल रहा है लोगों का सामाजिक व्यवहार
हैप्पी दिवाली बोलने से लेकर फैमिली एलबम दिखाने तक का सारा काम अब सोशल मीडिया पर हो रहा है. कोई घर आकर चाय पर आपकी शादी का एलबम नहीं देखता क्योंकि आप उसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तमाम भाव-भंगिमा वाले फोटो पहले ही दिखा चुके होते हैं. इसलिए शायद कोई चाय पीने भी नहीं आता या आप किसी को चाय पर बुलाते तक नहीं. लेकिन जैसा गांवों के चौपाल पर और छोटे शहरों के चौक पर होता था, वो सोशल मीडिया पर भी हो रहा है.
गांव की बैठकी और छोटे शहरों की चौकबाजी में लोग आपस में बहस कर लेते थे, भिड़ जाते थे, झगड़ा हो जाता था लेकिन सब एक-दूसरे के परिचित होते थे तो मसला कितना भी गंभीर क्यों ना हो, एक-दूसरे के मान-सम्मान की रक्षा लोग कर जाते थे. सोशल मीडिया खुला समाज है. इस चौक पर गली-मोहल्ले की सीमा से परे दुनिया के कोने-कोने से लोग जुटते हैं और जब वहां किसी चीज पर बहस हो जाए तो प्रतिभागी एक-दूसरे के मान-सम्मान की ऐसी-तैसी करने में कोई संकोच नहीं करते. मां-बहन को सबसे पहले इस झगड़े में शहीद करने वाले लोग दलाल और वेश्या जैसे हथियारों से लैस होकर हमला करते हैं.
जब हम गाली बकने वालों को घर में घुसने नहीं देते तो सोशल मीडिया पर इजाजत क्यों
कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. नहीं ना. तो इस दिवाली ये सोचिए. गांव में कोई ये सीमा कभी लांघता नहीं था. छोटे शहरों के चौक-चौराहे पर ये लक्ष्मण रेखा कभी टूटी नहीं तो सोशल मीडिया पर अराजक और गंदी बातचीत क्यों चल रही है. ऐसा इसलिए है कि हम गांव और छोटे शहरों में बदतमीजी करने वालों को ग्रुप से बाहर कर देते थे. ऐसे लोगों का बहिष्कार कर दिया जाता था. ऐसे लोग जब बैठकी में आते थे तो बाकी लोग उठकर चले जाते थे या उसे कह देते थे कि आप अपनी जगह देख लो, हमारी बैठकी में आपकी जरूरत नहीं है. सोशल मीडिया पर ये काम रिपोर्ट और ब्लॉक जैसे दो हथियार से चलता है. अजीब बात है कि फेसबुक से लेकर ट्विटर और इंस्टाग्राम तक हर जगह गाली देने वाले, अपशब्द कहने वाले, महिलाओं के लिए अश्लील और भद्दे शब्द कहने वाले बेफिक्र होकर घूम रहे हैं. जब मन, जिसे मन, जहां मन, गाली दे रहे हैं. कोई रोक-टोक नहीं.
तो इस दिवाली आइए हम वो करें जो हमने अब तक नहीं किया है. अगर किया है तो उसकी संख्या और रफ्तार बढ़ा दीजिए. सोशल मीडिया के गणतंत्र में अगर बदतमीज लोगों के लिए भौगोलिक सीमाएं टूटी हैं तो हमें आत्मसम्मान की रक्षा की सीमा को खुद मजबूत करना होगा. जैसे हम अपने गली-मोहल्ले में गाली बकने वालों की आवाज सुनकर अपनी खिड़की और दरवाजे बंद कर लेते थे वैसे ही अब सोशल मीडिया पर ऐसे लोग दिखें तो उनका एक्सेस अपनी प्रोफाइल तक रोकिए. रिपोर्ट करिए. ब्लॉक करिए. उनको अपने प्रोफाइल तक पहुंचने से रोकिए. सोचने की जरूरत ही नहीं है. जो आदमी मर्यादित बात नहीं कर सकता, वो असली समाज में हो या वर्चुअल समाज में, पास फटकने देने का अधिकारी नहीं है.
फेसबुक और ट्विटर पर गाली देने वालों को रिपोर्ट और ब्लॉक करने का अभियान छेड़ दें
फेसबुक या ट्विटर उसका एकाउंट सस्पेंड करेगा या नहीं करेगा, ये चिंता छोड़कर आप बस रिपोर्ट और ब्लॉक करिए. आप पहले तो अपने आस-पास को साफ करिए. आप करेंगे तो कोई और करेगा. सारे अच्छे लोग करेंगे तो सोशल मीडिया पर कचरा फैला रहे लोग खुद ही अलग-थलग पड़ जाएंगे. जब वो आप तक पहुंच नहीं पाएंगे तो आपसे बदतमीजी कैसे करेंगे या आपको गाली कैसे देंगे. गाली से बचना है, बदतमीजी से बचाना है खुद को तो इस दिवाली गंदगी फैलाने वालों को रिपोर्ट और ब्लॉक मारने की शुरुआत करें. कोई दूसरे को भी गाली देता दिखे तो उसे रिपोर्ट और ब्लॉक करिए. गाली देने वाला किसी को भी गाली दे सकता है.
फेसबुक और ट्विटर पर लोगों के साथ बदतमीजी से बात करने वाले, गाली देने वाले, अश्लील भाषा का इस्तेमाल करने वाले, धमकी देने वाले, जान की धमकी देने वालों को सबक सिखाने के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं. सबका पहला रास्ता तो रिपोर्ट करने से शुरू होता है जो ब्लॉक करने तक जाता है. आपके इस एक्शन पर फेसबुक या ट्विटर क्या एक्शन लेगा, इसकी चिंता किए बगैर आप बस ऐसे लोगों को चुन-चुनकर रिपोर्ट और ब्लॉक करिए. ऐसे लोग जब रिपोर्ट और ब्लॉक होंगे तो उनका हौसला टूटेगा. उनके एकाउंट सस्पेंड होंगे. उनके एकाउंट बंद होंगे.
पुलिस और कोर्ट जाने का अधिकार हमेशा खुला है अगर मामला गंभीर है
अगर अगर ये सब ना भी हुआ तो वो अपने जैसे गाली बकने वालों के बीच ही बचे रह जाएंगे क्योंकि अच्छे-भले लोग उनको रिपोर्ट और ब्लॉक करके अपनी दुनिया से दूर कर चुके होंगे. नीचे कुछ तस्वीरें हैं जो फेसबुक और ट्विटर पर इस तरह की परेशानियां पैदा होने पर क्या करना चाहिए, ये बताती हैं. उनके नीचे लिंक भी है. अगर आपके साथ कुछ भी ऐसा हुआ है, हो रहा है या होता है तो इन लिंकों को खोलकर पढ़ें और जैसे-जैसे रिपोर्ट और ब्लॉक करने कहा गया है, वैसे-वैसे करें. पुलिस और अदालत के पास जाने का तो आपका विकल्प हमेशा खुला है अगर मामला इतना संगीन है.
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