India’s World Cup Hero Yuvraj Singh Retirement: सिक्सर किंग युवराज सिंह कैंसर से लड़कर टीम इंडिया की 2007 टी 20 और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीत के हीरो बने

India's World Cup Hero Yuvraj Singh Retirement: टीम इंडिया को वर्ल्ड कप जिताने वाले युवराज सिंह ने इंटरनेशनल क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी है. 2011 में कैंसर से जूझते हुए, खून की उल्टियां करते हुए भी युवराज सिंह ने अकेले दम पर भारत को वर्ल्डकप विजेता बनाया. वो उस टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरिज भी रहे. 20017 वर्ल्डकप में स्टुअर्ट बोर्ड के एक ओवर में छह छक्के मारने को भला कौन भूल सकता है.

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India’s World Cup Hero Yuvraj Singh Retirement: सिक्सर किंग युवराज सिंह कैंसर से लड़कर टीम इंडिया की 2007 टी 20 और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीत के हीरो बने

Aanchal Pandey

  • June 10, 2019 3:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

मुंबई. 2007 का साल था, एक नए फॉर्मेट टी-20 का पहला वर्ल्ड कप हो रहा था. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, सौरव गांगुली की तिकड़ी ने इस फॉर्मेट में नहीं खेलने का फैसला किया था. भारतीय फैन्स भी इस टूर्नामेंट में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे. तभी हुआ इंग्लैंड और भारत का मैच. इस मैच में स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में युवराज सिंह ने छह छक्के जड़ दिए. यह इंटरनेट पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाला क्रिकेट वीडियो है. युवराज सिंह के छह छक्कों ने टी-20 क्रिकेट का भाग्य बदल दिया. इसकी लोकप्रियता बुलंदी पर पहुंच गई. 

फिर आया 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप. भारत 28 साल पहले 1983 में कपिलदेव के नेतृत्व में वर्ल्डकप जीता था. इसके बाद वर्ल्डकप की कहानी भारत के लिए उम्मीद से शुरू होती और निराशा पर खत्म हो जाती. 2011 वर्ल्डकप अलग होने जा रहा था. युवराज सिंह को डॉक्टरों ने बता दिया था कि उन्हें कैंसर है. युवराज टूट चुके थे. लेकिन खिलाड़ी वहीं होता है जो गिरने के बाद उठना जानता है. युवराज सिंह तो चैंपियन खिलाड़ी हैं. युवराज दर्द निवारक दवाएं खाते रहे, अपना दर्द छुपाते रहे और वर्ल्डकप खेलते रहे. और क्या खेले युवराज सिंह. चाहे बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी. फील्डिंग को भारत में फैशन बनाने का श्रेय भी युवराज सिंह को ही जाता है. युवराज सिंह कैंसर से जीते और भारत को वर्ल्डकप जिताया. 2011 वर्ल्डकप में युवराज सिंह मैन ऑफ द सीरिज रहे. सचिन तेंदुलकर का स्वर्णिम करियर बिना वर्ल्डकप खिताब के खत्म हो जाता अगर युवराज सिंह का चमत्कार उस टूर्नामेंट में नहीं चलता.

युवराज सिंह: जिन्हें कहा गया भारत का सबसे टैलेंटेड खिलाड़ी
युवराज सिंह की हाई बैकलिफ्ट उनको क्लीन हिट करने में काफी मदद करती थी. युवराज सिंह को छक्के मारते देखने से सुंदर इस धरती पर और कुछ नहीं है. युवराज सिंह जब भी मैदान में उतरते क्रिकेट एक्सपर्ट अक्सर यह बात कहते कि युवराज में दोनों टीमों के सभी खिलाड़ियों से ज्यादा टैलेंट है. युवराज की प्रतिभा क्रिकेट दिग्गजों को चमत्कृत करती रही है. सौरव गांगुली की अगुवाई में युवराज की भारतीय टीम में एंट्री हुई. पहले ही मैच में विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ युवराज ने 84 रनों की पारी खेली. उनके टैलेंट पर दुनिया का भरोसा तब से ही है.

https://www.youtube.com/watch?v=pZAGg9ZRM-I

हवा में उड़ते युवराज और मोहम्मद कैफ यानी इंडिया के जोंटी रोड्स
युवराज और अंडर 19 वर्ल्डकप में उनके कैप्टन रहे मोहम्मद कैफ ने भारत में फील्डिंग की परिभाषा ही बदल दी. हवा में उड़ते हुए गेंद पर झपटते युवराज को देखकर क्रिकेट फैंस रोमांच से भर उठते. एक ढीली फील्डिंग साइट के तौर पर भारतीय टीम की गिनती की जाती थी. युवराज और कैफ ने भारतीय टीम की इमेज हमेशा के लिए बदल दी. प्वाइंट पर युवराज सिंह तैनात रहते. हर गेंद के पीछे शेर की तरह झपटते. युवराज और कैफ की जुगलबंदी ने भारत में फील्डिंग को लेकर नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया. बल्लेबाजों के दीवाने इस देश में फील्डिंग भी चर्चा और दीवानगी का सबब हो गई तो इसका श्रेय युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ को ही जाता है.

https://www.youtube.com/watch?v=MAtfMy9UvU8

जब विकेट चटकानी हो, कप्तान को याद आते युवराज सिंह
गेंदबाजी में भी युवराज सिंह बेहद उपयोगी गेंदबाज थे. हर बार जब कप्तान को मिडिल ओवर्स में विकेट की तलाश होती, गेंद युवराज को थमा दी जाती. युवराज बेहद कसी हुई गेंदबाजी कर इंडिया को लंबे समय तक ब्रेकथ्रू दिलाते रहे. 2011 वर्ल्डकप ऐसा टूर्नामेंट था जिसने युवराज को क्रिकेट का महाराज बना दिया. क्या बैटिंग क्या बॉलिंग और क्या फील्डिंग. जब भी टीम इंडिया मुश्किल में फंसी युवराज सिंह उसके खेवनहार बने. ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्डकप से बाहर करना हो या पाकिस्तान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन. धोनी ने जब मैच जिताऊ छक्का मारा तब भी युवराज सिंह नॉन स्ट्राइक पर मौजूद थे. शायद ये किस्मत का संकेत भी था. युवराज अपना काम कर चुके थे. करोड़ों भारतवासियों का सपना पूरा हो गया था. वर्ल्डकप जीतते ही युवराज फूट-फूटकर रोए. पूरा देश खुशी में झूम रहा था. युवराज वर्ल्डकप जीतते ही लंदन चले गए कैंसर का इलाज कराने. न टीम में न दर्शकों को किसी को इस बात का अहसास भी नहीं था कि जिस चैंपियन खिलाड़ी ने दुनिया की सारी टीमों से अकेले दम पर लड़कर भारत को वर्ल्डकप जिताया है वो खुद कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ रहा था.

जब कैंसर का हुआ युवराज सिंह से सामना
पढ़कर थोड़ा अजीब तो नहीं लग रहा. युवराज सिंह को कैंसर ने अपनी चपेट में ले लिया. अमूमन लोग इस बीमारी के इलाज में मानसिक रूप से इतने टूट जाते हैं कि बच भी गए तो जीवन कभी नॉर्मल नहीं हो पाता. कैंसर ने लाखों लोगों को हराया है लेकिन उसका सामना अब युवराज सिंह से था. वो युवराज सिंह जो किसी से नहीं घबराता. कैंसर से लड़ाई भी आखिरकार युवराज ने जीती. न सिर्फ जीती बल्कि वो दोबारा सेहतमंद होकर टीम इंडिया में शामिल भी हुए. उनके साथ नॉन स्ट्राइक पर मौजूद विराट कोहली ने हाल ही में कहा था, “युवी पा के साथ खेलते हुए मुझको लगा मैं कोई क्लब क्रिकेटर हूं. उनका क्लास ही कुछ और है.”

https://www.youtube.com/watch?v=MHFgWsfZBk4

दो बार वर्ल्डकप जिताया इस बार वर्ल्डकप में रुलाया
सच है युवराज जैसा कोई नहीं. कोई होगा भी नहीं. आज युवराज सिंह नें इंटरनेशनल क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी है. क्रिकेट वर्ल्डकप चल भी रहा है. भारत को दो वर्ल्डकप जिताने वाले युवराज सिंह ने सन्यास के लिए भी यहीं वक्त चुना. हर वर्ल्डकप में धमाका करना उनकी आदत में शुमार हो मानो. बस फर्क ये है कि युवराज सिंह ने इस बार सबको दुखी और नतमस्तक कर दिया है. युवराज सिंह का भारतीय क्रिकेट और फैंस हमेशा शुक्रगुजार रहेंगे. शुक्रिया सिक्सर किंग.

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