रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के पक्ष में नहीं RSS, कहा- षड्यंत्र के तहत भारत में घुसे

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रोहिंग्या मुस्लिमों पर बड़ा बयान दिया है, संघ ने कहा है कि वह भारत में रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के पक्ष में नहीं है. संघ के सरकार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि आखिर रोहिंग्या को म्यांमार से बाहर क्यों निकाला गया.

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रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के पक्ष में नहीं RSS, कहा- षड्यंत्र के तहत भारत में घुसे

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  • October 14, 2017 5:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
भोपाल: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रोहिंग्या मुस्लिमों पर बड़ा बयान दिया है, संघ ने कहा है कि वह भारत में रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के पक्ष में नहीं है. संघ के सरकार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि आखिर रोहिंग्या को म्यांमार से बाहर क्यों निकाला गया. जोशी ने कहा कि रोहिंग्या देश में कई जगहों पर शरणार्थी बनकर आए और उनके आधार, पैन कार्ड बन गए इसमें कोई साजिश है. इस समय जो रोहिंग्या रह रहे हैं वे एक षड्यंत्र के तहत योजना बना भारत में रह रहे हैं. उन्होंने कहा मानवता के आधार पर रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करने में हमे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन मानवता की भी एक सीमा होती है. 
 
जोशी ने आगे कहा कि भारत में घुसने के बाद रोहिंग्या जम्मु और हैदराबाद में ही क्यों रह रहे हैं. इन लोगों को आसानी से वोटर कार्ड और आधार कार्ड इतनी आसानी से कैसे मिल रहे हैं, ये एक बहुत बड़ा सवाल है. हमे सबसे पहले ये देखना और समझना होगा कि आखिर म्यांमार सरकार उनको देश से क्यों निकाल रही है. किसी भी देश की सरकार इस तरह भेदभाव पूर्ण कदम नहीं उठा सकती, इसके पीछे कोई बड़ी वजह जरुर होगी. आखिर वो कौन सी वजह रही होगी, जिससे म्यांमार ने इस तरह का कदम उठाया. उन्होंने कहा कि आखिर वो लोग भारत ही क्यों आए, वह जाने को तो चीन और इंडोनेशिया भी जा सकते थे, वहां क्यों नहीं गए.
 
बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कहा था कि रोहिंग्या मामला मानवता का बड़ा मुद्दा है, लेकिन देश की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले में भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं लेगा. इसके साथ ही कोर्ट बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर भी विचार करेगा. कोर्ट ने सभी पक्षों को बहस का और वक्त देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 नवंबर को तय की है. कोर्ट ने केन्द्र को ये निर्देश दिया कि वो अगली सुनवाई तक रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर नहीं निकालें.
 
दरअसल म्यांमार में भड़की हिंसा के बाद रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत और बांग्लादेश का रुख करना शुरू किया था. पहाड़ों और नदियों के रास्ते ये लोग भारत में घुस आए थे. फिलहाल देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान अलग-अलग राज्यों में रह रहे हैं. केन्द्र सरकार ने इन्हें अवैध प्रवासी मानते हुए वापस म्यांमार भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी. इस पर दो रोहिंग्या मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों का यहां रहना देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. इनके पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों से रिश्ते हैं.
 

बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों को उनके देश म्यांमार वापस भेजने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध नजर आ रही है. यही वजह है कि केंद्र सरकार रोहिंग्या को भारत में घुसने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर रोहिंग्या से देश की सुरक्षा को खतरा बताया है. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रहे सैन्य कार्रवाई के चलते रोहिंग्या वहां से भागकर बांग्लादेश और भारत में शरण ले रहे हैं. अभी भी भारत में रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है. यही वजह है कि सरकार ने इन्हें भारत में आने से रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं. 
 

 

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