अनुपम खेर को स्मृति ईरानी ने बनाया FTII चेयरमैन, गजेंद्र चौहान की छुट्टी
अनुपम खेर को स्मृति ईरानी ने बनाया FTII चेयरमैन, गजेंद्र चौहान की छुट्टी
फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) का नया चेयरमैन बनाया गया है. इससे पहले गजेंद्र चौहान FTII के अध्यक्ष थे. गजेंद्र चौहान को साल 2015 में FTII का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. उस वक्त गजेंद्र की नियुक्ति को लेकर काफी विरोध हुआ था.
October 11, 2017 10:16 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
मुंबईः फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) का नया चेयरमैन बनाया गया है. इससे पहले गजेंद्र चौहान FTII के अध्यक्ष थे. गजेंद्र चौहान को साल 2015 में FTII का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. उस वक्त गजेंद्र की नियुक्ति को लेकर काफी विरोध हुआ था. कैंपस में भी छात्रों ने गजेंद्र को चेयरमैन बनाए जाने को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन किया था. हालांकि उस दौरान बीजेपी सरकार ने गजेंद्र को हटाने से इनकार कर दिया था. FTII के नवनियुक्त चेयरमैन अनुपम खेर ने भी गजेंद्र चौहान का काफी विरोध किया था.
पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के चेयरमैन का कार्यकाल सामान्य तौर पर तीन साल का होता है. अनुपम खेर को चेयरमैन नियुक्त किए जाने के साथ ही सोशल मीडिया पर उनको लगातार बधाइयां मिल रहीं हैं. अनुपम खेर सीबीएफसी और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वह पद्मश्री (2004) और पद्म भूषण (2016) सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर चंडीगढ़ से बीजेपी सांसद हैं.
अनुपम खेर अब तक 500 से ज्यादा फिल्मों और थियेटर में काम कर चुके हैं. खेर कई हॉलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुके हैं. खेर की हॉलीवुड फिल्म ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ 2013 में ऑस्कर भी जीत चुकी है. इससे पहले श्याम बेनेगल, सईद मिर्जा, महेश भट्ट, मृणाल सेन, विनोद खन्ना अदूर गोपालाकृष्णन और गिरिश कर्नाड जैसे कलाकार और फिल्मकार भी FTII के अध्यक्ष रह चुके हैं.
FTII से पढ़ाई कर चुके कई कलाकार आज कला के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखते हैं. शत्रुघ्न सिन्हा, रज़ा मुराद, रेसुल पुकुट्टी, नसीरुद्दीन शाह, जया बच्चन, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और ओम पुरी का नाम FTII के उन छात्रों की फेहरिस्त में शुमार है. गौरतलब है कि बतौर FTII चेयरमैन गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के तुरंत बाद छात्रों ने 139 दिनों तक हड़ताल की थी. छात्रों का आरोप था कि गजेंद्र चौहान की नियुक्ति राजनीतिक रूप से प्रेरित है. उनका मानना था कि चौहान इस पद के लिए क्वालिफाइड नहीं हैं.