गोधरा कांड : गुजरात हाईकोर्ट का फैसला, 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एक डब्बे, एस-6 में आग लगा दी गई थी. उस आग में 59 लोग जिनमें ज़्यादातर अयोध्या से लौट रहे हिंदू कारसेवक थे, वो मारे गए थे. इस हादसे के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.
October 9, 2017 2:23 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
अहमदाबाद. गोधरा में 2002 में हुए साबरमती ट्रेन को आग लगाने के मामले में एसआईटी की विशेष अदालत की ओर से आरोपियों को दोषी ठहराए जाने और बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर गुजरात उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने फांसी की सजा पाए 11 दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. वहीं बाकी 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रहेगी. वहीं कोर्ट ने गोधरा कांड के पीड़ितों को दस लाख का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है.
इस मामले में एसआईटी की एक विशेष अदालत ने 2011 में 31 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 63 लोगों को बरी कर दिया गया था. 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एक डब्बे, एस-6 में आग लगा दी गई थी. उस आग में 59 लोग जिनमें ज़्यादातर अयोध्या से लौट रहे हिंदू कारसेवक थे, वो मारे गए थे. इस हादसे के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.
ट्रायल कोर्ट ने 1 मार्च 2011 को 31 दोषियों को सजा सुनाई थी. इसमें 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद हाईकोर्ट में कई अपीलें दायर कर फैसले के खिलाफ चुनौती दी गई. साथ ही गुजरात सरकार ने भी 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी है. गुजरात सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एस-6 कोच का अग्निकांड कोई दुर्घटना नहीं थी बल्कि उसमें आग लगाई गई थी.
जिन लोगों को इन मामलों में कोर्ट ने रिहा कर दिया, उनमें मुख्य आरोपी मौलाना उमरजी, मोहम्मद अंसारी, गोधरा म्युनिसिपैलिटी के तत्कालीन प्रेसिडेंट मोहम्मद हुसैन कलोता और उत्तर प्रदेश के गंगापुर के रहने वाले नानूमियां चौधरी थे. गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में यह तय माना जा रहा है गोधारा कांड पर इस फैसले का असर गुजरात चुनावों में भी देखने को मिलेगा.
गोधरा कांड के पीड़ितो दस लाख का मुआवजा देने का हाईकोर्ट का आदेश।