नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और NCR में पटाखे की बिक्री पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुना सकता है. कोर्ट ये भी तय करेगा कि क्या वो अपने उस आदेश में संसोधन करे या नही जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली और एनसीआर में केवल 50 लाख किलो पटाखें बिक सकते है साथ ही दिल्ली और एनसीआर में किसी भी दूसरे राज्य से पटाखें नही लाये जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ये भी तय करेगा कि क्या पटाखों के लाइसेंस की संख्या में बढ़ोतरी की जाए या नही या फिर अस्थायी लाइसेंस होल्डर को पटाखें बेचने की इजाजत दी जाए या नहीं. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान पटाखा व्यपारियों की तरफ से कहा गया कि कोर्ट उनकी अर्जी पर विचार करे जिसमें उन्होंने कोर्ट के उस आदेश में संशोधन की मांग कि है. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली और एनसीआर में केवल 50 लाख किलो पटाखें बेचे जा सके है और दिल्ली और एनसीआर में किसी भी दूसरे राज्य से पटाखें नही लाये जाएंगे.
पटाखा व्यपारियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 50 लाख किलो पटाखें, दिल्ली और एनसीआर की आबादी के केवल 10 फीसदी के लिए ही जो पाएंगे ऐसे में दूसरे राज्यो से पटाखें लाने की इजाजत दी जाए. व्यपारियों ने ये भी दलील दी कि उनके गोदाम नियम के मुताबिक दिल्ली के बाहर है ऐसे में एनसीआर से पटाखें दिल्ली लाने की इजाजत दी जाए.
अस्थायी पटाखा लाइसेंस होल्डर की तरफ से दलील की गई कि वो पिछले 40 सालों से व्यापार कर रहे है और कोर्ट के आदेश के बाद उनका धंधा चौपट हो गया है. इस किये कुछ दिनों के लिए ही सही उन्हें अस्थायी दुकान लगाने की इजाजत दी जाए. पटाखा व्यपारियों की तरफ से दलील की गई कि दीवाली के बाद बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए केवल पटाखें जिम्मेदार नही है बल्कि इसकी मुख्य वजह किसानों द्वारा पराई जलाना और दिल्ली एनसीआर में बढ़ता ट्रैफिक है.
वही याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि पिछली दीपावली के बाद पटाखों की वजह से जैसी धुंध छाई थी इतिहास में ऐसा कभी नही हुआ था. पहाड़ी इलाकों में धूम्रपान करने वाले 52 साल के आदमी के फेफड़ो से ज्यादा दिल्ली में बिना धूम्रपान करने वाले का फेफड़ा प्रदूषण की वजह से काला होता है. दिल्ली संसार के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. ऐसे में कोर्ट पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लागये.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि शराब और सिगरेट बनाने वालों की जान नहीं जाती जबकि पटाखों की फैक्ट्री में काम करने वालो की जान अक्सर चली जाती है. बड़े पैमाने पर पटाखा फैक्ट्री में बच्चे काम करते हैं. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केवल इस दीवाली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा कर देखे फिर देखिए आपको वायु प्रदूषण में कितना सुधार मिलेगा.
सीपीसीबी ने कहा कि वो दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री की रोक की मांग वाली याचिका का समर्थन करते हैं. दरअसल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है की कोर्ट अपने उस आदेश को वापस लें जिसमें कोर्ट ने शर्तों के साथ दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटाई थी.
इससे पहले जस्टिस मदन बी लोकुर ने सुनवाई से खुद को अलग कर मामले की सुनवाई के लिए दूसरी बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा था. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हटाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा थी कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं. ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थाई लाइसेंस ही दिए जा सकेंगे. SC ने कहा है कि 2016 में दिए गए लाइसेंस में से 50 फीसदी को ही इसबार लाइसेंस दिया जाएं.
यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा यानी 2016 में दिए गए लाइसेंस के आधे ही इसबार दिए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे. यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें. इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश हैं.