अब जंतर मंतर पर नहीं होंगे विरोध-प्रदर्शन और न सुनाई देंगे नारे, NGT ने लगाई रोक

नई दिल्ली. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और दिल्ली नगर निगम को आदेश दिेया है कि तत्काल प्रभाव से वो दिल्ली के जंतर मंतर पर होने वाले विरोध-प्रदर्शन और लोगों की होने वाली भीड़ पर रोक लगाए. बता दें कि एनजीटी ने ये आदेश गुरुवार को एक सुनवाई के […]

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अब जंतर मंतर पर नहीं होंगे विरोध-प्रदर्शन और न सुनाई देंगे नारे, NGT ने लगाई रोक

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  • October 5, 2017 1:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और दिल्ली नगर निगम को आदेश दिेया है कि तत्काल प्रभाव से वो दिल्ली के जंतर मंतर पर होने वाले विरोध-प्रदर्शन और लोगों की होने वाली भीड़ पर रोक लगाए. बता दें कि एनजीटी ने ये आदेश गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान दिया. 
 
जस्टिस आर एस राठौड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के साथ-साथ नई दिल्ली नगर निगम को भी आदेश दिया कि वह क्नौट पैलेस के आस-पास वाले इलाके में अस्थायी ढांचे, लाउड स्पीकर और जनता को संबोधित करने वाले सिस्टम को तत्काल हटाए.
 
बेंच ने दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम और पुलिस कमिश्नर सहित सभी उत्तरदाई इकाई को आदेश दिया कि जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन, आंदोलन, लोगों की भीड़, सार्वजनिक भाषण और लाउडस्पीकर आदि को बजने से रोकें. 
 
 
पीठ ने संबंधित विभागों से कहा है कि इन सभी विरोध-प्रदर्शनों, आंदोलनों और धरनो को तुरंत अजमेरी गेट के पास राम लीला मैदान में विकल्प के तौर पर शिफ्ट करें. एनजीटी ने कहा कि आज से चार हफ्ते के भीतर दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और दिल्ली नगर निगम हमारे आदेश को लागू करे और पांचवें हफ़्ते में इस आदेश से संबंधित करवाई रिपोर्ट दाखिल करे.
 
ग्रीन ट्रिब्यूनल पैनल ने कहा कि जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शनों से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 का उल्लंघन है. आदेश में ये भी कहा गया है कि जंतर-मंतर इलाके में रहने वाले लोगों को शांति और आराम से रहने का अधिकार है.
 
बता दें कि एनजीटी ने वरुण सेठ की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया. याचिका में कहा गया है कि सामाजिक समूहों, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संस्थाओं से जुड़े लोग जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है. 
 
याचिका में यह भी कहा गया है कि नियमित प्रदर्शन करने वाले शांत से रहने के अधिकारों को उल्लंघन करते हैं. इस याचिका में ये बात कही गई है कि लगातार विरोध-प्रदर्शन वहां रहने वाले लोगों के परेशान करते हैं. इससे जीने का अधिकार और स्वच्छ वातावरण के अधिकार का हनन होता है.
 
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