अहोई अष्टमी 2017 : इस विधि से करें निर्जला व्रत और पूजा, ये है शुभ मुहूर्त

आज अहोई अष्टमी का व्रत है. 12 अक्टूबर को अहोई माता की पूजा कर मां अपने बच्चों की सलामती के लिए व्रत करती हैं. अहोई व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. संतान की सलामती से जुड़े इस व्रत की बहुत महता है. इस व्रत को हर महिला अपने बच्चे के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए करती हैं. कुछ महिलाएं इस व्रत को बच्चे प्राप्ति के लिए भी करती हैं.

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अहोई अष्टमी 2017 : इस विधि से करें निर्जला व्रत और पूजा, ये है शुभ मुहूर्त

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  • October 4, 2017 8:07 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. आज अहोई अष्टमी का व्रत है. 12 अक्टूबर को अहोई माता की पूजा कर मां अपने बच्चों की सलामती के लिए व्रत करती हैं. अहोई व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. संतान की सलामती से जुड़े इस व्रत की बहुत महता है. इस व्रत को हर महिला अपने बच्चे के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए करती हैं. कुछ महिलाएं इस व्रत को बच्चे प्राप्ति के लिए भी करती हैं. कहा जाता है कि अहोई अष्टमी या आठें का व्रत करने से अहोई माता खुश होकर बच्चों की सलामती का आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत को देशभर में किया जाता है. इस व्रत में महिलाएं तारों और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं.
 
ऐसा करें अहोई व्रत 2017 पर
इस दिन भी करवा लेकर पूजा की जाती है. पूजा खत्म हो जाने के बाद अपनी सांस या घर के बुजुर्गों को ये करवा दिया जाता है. करवा पर साड़ी शगुन के पैसे और भोजन देकर पुण्य कमाया जाता है. ऐसा करने से माता अहोई खुश होकर बच्चों की रक्षा करती है.
 
अहोई व्रत 2017 का शुभ मुहूर्त
पूजा का समय- 1 घंटा 14 मिनट
मुहूर्त- सुबह 6.14 से 7.28 बजे तक  
शाम – 6.39 बजे से शुरू
 
बता दें अहोई अष्टमी कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि दिवाली से सिर्फ 7 दिन पहले मनाई जाती है. या यूं कहे कि ये व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद मनाया जाता है. इस बार अहोई का व्रत 12 अक्टूबर को 6.55 बजे शुरू होगी. ये 13 अक्टूबर को सुबह 4.59 बजे तक चलेगी.
 
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि
– सुबह उठकर स्नान कर निर्जला व्रत करें.
– सूरज ढलने के बाद अहोई पूजा की जाती है.
– पूजा के दौरान अहोई कलेंडर और करवा लेकर पूजा करें.
– कथा सुनें.
– अहोई माता बनी एक माला भी पहनने चाहिए जिसे दिवाली तक गले में पहनना होता है.

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