नई दिल्ली : मंगलवार को हनुमान जी की पूजा-आराधना की जाती है, पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को शिवजी का 11वां अवतार बताया गया है. अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि, मंगल, राहु और केतु जैसी पापी ग्रहों के दुष्प्रभाव होते हैं तो उसे मंगलवार को हनुमान जी पूजा करने की सलाह दी जाती है. आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि मंगलार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से कई ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है.
अगर आपकी भी कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष है तो आपको हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए. हनुमान जी की आराधना करने से मंगल ग्रह के अशुभ योग भी दूर होते हैं.
व्रत कथा
एक ब्राह्मण दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी, यही वजह थी कि वह दोनों दुखी रहते थे. एक दिन ब्राह्मण जंगल में हनुमान जी की पूजा के लिए गए, उन्होंने हनुमान जी के साथ-साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना की. वहीं दूसरी ओर घर में ब्राह्मण की पत्नी मंगलवार का व्रत कर रही थी. ब्राह्मण की पत्नी पूजा करने के बाद ही भोजन किया करती थी. आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि एक दिन ऐसा आया जब ब्राह्मण की पत्नी न भोजन बना सकी और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी.
वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही और फिर मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई. हनुमान जी ब्राह्मण की पत्नी की निष्ठा और लगन देखकर प्रसन्न हुए. हनुमान जी ने खुश होकर ब्राह्मण की पत्नी को एक पुत्र दिया. पुत्र को पाकर ब्राह्मण की पत्नी बेहद खुश हुई और उसने उसका नाम मंगल रखा. ब्राह्मण जब वन से वापस आया तो उसने बालक को देख अपनी पत्नी से सवाल किया कि ये कौन है तो ब्राह्मण की पत्नी ने जवाब दिया कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने हमें ये बालक दिया है लेकिन ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ और उसने एक दिन बालक को कुंए में गिरा दिया.
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ब्राह्मण की पत्नी बाहर गई हुई थी वापस लौटने के बाद उसने पूछा कि मंगल कहा है. इतने में मंगल पीछे से मुस्कुराता हुआ आ गया, मंगल को वापस देख ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया. रात को हनुमानजी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उसे उन्होंने ही दिया है. ब्राह्मण को सत्य जानकर बहुत खुशी हुई.