नई दिल्ली : आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती है, आज हम आप लोगों को अपनी खबर के माध्यम से बापू के बारे में कई ऐसी बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप अब तक अंजान हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि रोजमरा की जिंदगी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय मुद्रा पर गांधी जी की ही तस्वीर क्यों छपी होती है और इस तस्वीर को आखिर कहां से लिया गया है. नहीं, तो आइए जानते हैं बापू जी की तस्वीर और नोट पर गांधी जी की फोटो के पीछे की कई दिलचस्प बातें.
कब से हुई शुरुआत
रिजर्व बैंक के मुताबिक, साल 1996 में गांधी जी वाले नोट चलन में आए, इसके बाद 5,10,20,100,500 और 1000 रुपए वाले नोट छापे गए. नोट पर अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बाईं तरफ निचले हिस्से पर प्रिंट करने जाने लगी.
1996 से पहले का इतिहास
जैसा कि हमने अभी आपको ऊपर बताया कि 1996 में गांधी जी वाले नोट चलन में आए थे लेकिन इससे पहले 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वाटरमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, जो नोट के बाईं तरफ दिखाई देते थे.
आखिर क्यों छापी जाती है बापू की तस्वीर
इस बात का जवाब ये है कि एक आरटीआई में ये बात सामने आई कि 1993 में रिजर्व बैंक ने नोट के दाहिनी तरफ महात्मा गांधी की तस्वीर छापने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी, लेकिन हमेशा से एक बात पर बहस होती आई है कि गांधी जी की तस्वीर की जगह अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर क्यों नहीं छापी गई.
क्यों लिया गया गांधी की फोटो छापने का फैसला
महात्मा गांधी को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में माना जाता है, बापू राष्ट्रपिता की उपाधि हासिल कर चुके गांधी उस वक्त राष्ट्र का चेहरा थे, इसी कारण नाम पर फैसला लिया गया था.
कहां से आई नोट पर छपने वाली गांधी जी की फोटो
क्या आप जानते हैं कि नोट पर छपने वाली महात्मा गांधी की तस्वीर के पीछे का क्या राज है, बता दें कि ये तस्वीर 1946 में खिंची गई थी और ये असली तस्वीर है. यह फोटो उस वक्त की है जब वो जब लार्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में आए