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2 अक्टूबर: गांधी जयंती पर महात्मा गांधी की फोटो जीवनी

हमारे देश में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के तौर पर मनाया जाता है. मोहनदास करमचन्द गांधी केवल एक ऐसा नाम है, जिनके बताये रास्ते और सिद्धांत पर चलने वाला इंसान कभी भी अपने रास्ते से भटक नहीं सकता है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की लाठियां खाते हुए देश को आजादी दिला कर उन्होंने साबित कर दिया कि इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सत्य, अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चल कर नहीं जीता जा सकता.

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  • October 1, 2017 3:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. हमारे देश में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के तौर पर मनाया जाता है. मोहनदास करमचन्द गांधी केवल एक ऐसा नाम है, जिनके बताये रास्ते और सिद्धांत पर चलने वाला इंसान कभी भी अपने रास्ते से भटक नहीं सकता है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की लाठियां खाते हुए देश को आजादी दिला कर उन्होंने साबित कर दिया कि इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सत्य, अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चल कर नहीं जीता जा सकता. 
 
अपनी अथक प्रयास से देश को आजादी दिलाने वाले गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था. उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे. उनकी माता पुतलीबाई थी.
 
पहले की अपेक्षा अब महात्मा गांधी की जयंती इसलिए भी खास हो गई है क्योंकि 2 अक्टूबर को अब स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है. तो चलिए हम आज महात्मा गांधी के जीवन पर प्रकाश डालते हैं और उनके जीवन, संघर्ष और त्याग को समझने की कोशिश करते हैं. साथ ही ये जानने की कोशिश करते हैं कि गांधी जी के मन में कैसे उत्पन्न हुई आज़ादी की भावना और इसे पाने के लिए उन्होंने क्या-क्या किया.
 
आइये जानते हैं गांधी जी के मन में कैसे उत्पन्न हुई आज़ादी की भावना और इसे पाने के लिए क्या महत्वपूर्ण कदम उठाये गए.
 
1. भारत में एक औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वकालत की पढ़ाई करने सन् 1888 में इंग्लैंड पहुंचे गांधी जी ने वहां भारतियों को पश्चिमी सभ्यता से संघर्ष करते हुए पाया. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1893 में गांधी जी वकालत करने दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, जहां उन्हें गोरे-काले के भेद ने अंदर से झकझोर दिया. 
 
 
2. दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद की नीति के खिलाफ आवाज बुलंद करने के बाद भारत को आजादी दिलाने के इरादे से वो 1915 में भारत लौटे. 1917 तक गांधी जी की पहचान देश में बन चुके थे.  
 
 
3. 15 अप्रैल, 1917 को राजकुमार शुक्ल के निवेदन पर चम्पारण में नील की खेती के जरिये किसानों पर हो रही ब्रिटिश जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करने के इरादे से मोहनदास करमचंद गांधी बिहार के चंपारण आए थे. 
 
 
4. 1919 से 1922 के मध्य अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध दो सशक्त जनआंदोलन चलाये गये. ये आांदोलन थे- खिलाफत एवं असहयोग आंदोलन. असहयोग आंदोलन ने पहली बार देश की जनता को राजनीतिक मंच पर एकत्रित किया. आन्दोलन में किसान, मजदूर, दस्तकार, व्यापारी, व्यवसायी, कर्मचारी, पुरुष, महिलाएं, बच्चे, बूढ़े आदि सभी प्रकार के लोगों ने भाग लिया था. 
 
 
5. रावी अधिवेशन – 1929 के लाहौर में रावी नदी के तट पर हुए कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग की गई थी.
 
 
6. नमक आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से 24 दिन की यात्रा शुरू की थी. यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी के लिए थी जहां जाकर बापू ने औपनिवेशिक भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के कानून को तोड़ा और नमक बनाया था.
 
 
7. सविनय अवज्ञा आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाये गए जन आंदोलन में से एक था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है. महात्मा गांधी ने अपनी इस मांग पर जोर देने के लिए 6 अप्रैल, 1930 को सविनय अविज्ञा आंदोलन छेड़ा था. 
 
 
8. भारत छोड़ो आंदोलन- देश में व्याप्त हताशा, निराशा से चिंतित गांधीजी ने 1942 ई. में अंग्रेजों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद कर दिया था. भारत की आजादी से सम्बन्धित इतिहास में दो पड़ाव सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण नजर आते हैं- पहला ‘1857 ई. का स्वतंत्रता संग्राम’ और दूसरा ‘1942 ई. का भारत छोड़ो आन्दोलन’.
 
 
9. असहयोग आन्दोलन का संचालन स्वराज की मांग को लेकर किया गया था. इसका उद्देश्य सरकार के साथ सहयोग न करके कार्यवाही में बाधा उपस्थित करना था. असहयोग आन्दोलन गांधी जी ने 1 अगस्त, 1920 को आरम्भ किया.
 
 
10. भारत की आजादी और बंटवारे का दिन 15 अगस्त करीब आता जा रहा था और गांधी जी को लगा कि लाल किले पर होने वाले आजादी के के जश्न की बजाए नोआखाली के आम आदमी को उनकी ज्यादा जरूरत है. वे नौ अगस्त को कलकत्ता पहुंच गए. कलकत्ते के मुसलमानों ने उन्हें रोक लिया, वे नोआखाली नहीं जा सके. कलकत्ते की स्थिति बहुत गंभीर थी. यही वजह है कि गांधी जी ने कलकत्ता की गलियों का दौरा शुरू कर दिया.
 
 
 
11. महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार सन् 1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था. 
 
 
 
 
12. महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी. वे रोज की तरह 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दीं थी. 
 
 
तो इस तरह से महात्मा गांधी के योगदान ने उन्हें इस देश का राष्ट्रपिता बना दिया. 

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