Apara Ekadashi 2019: हिंदू धर्म में अपरा एकादशी का काफी महत्व माना जाता है. अपरा या अचला एकादशी पर मूलत भगवान विष्णु की पूजा की जाती सौभाग्य, करियर, संतान व परिवार के सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. इस साल यह एकादशी गुरूवार यानि की 30 मई मनाई जाएगी.
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का काफी महत्व है. प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियाँ होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है. ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. एकादशी पर मूलत भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और घर के सौभाग्य, करियर, संतान के लिए भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. इस साल यह एकादशी गुरूवार यानि की 30 मई को है. हिंदू धर्म में अपरा एकादशी का काफी महत्व माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार अपरा एकादशी व्रत पापों की मुक्ती और पुष्य पाने के लिए किया जाता है.
एकादशी का व्रत करने के लिए व्यक्ति को पवित्र जल से नहाकर साफ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए. इसके बाद पूजा घर में या मंदिर में भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ती स्थापित करें. रक्षा सूत्र बांधे. इसके बाद घी का दीपक जलाएं. विधिपूर्वक भगवान की पूजा करें और दिन भर उपवास करें. व्रत के अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं फिर खुद भोजन करें.
महीध्वज नाम का धर्मात्मी राजा था. राजा का छोटा भाई पापी था. एक दिन अवसर पाकर उसने राजा की हत्या कर दी. हत्या करके राजा को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर रहने लगी. रास्ते से गुजरने वाले हर व्यक्ति को राजा की आत्मा परेशान करने लगी. इसी रास्ते से एक दिन ऋषि गुजर रहे थे. ऋषि ने प्रेत को देखा और अपनी तपस्या से प्रेत बनने का कारण जाना. ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया. राजा क प्रेत योनि से मुक्त कराने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और अगले दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुणेय प्रेत को दिया. एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया.