सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा सच: कमांडो ने कहा- पाकिस्तान में 3 दिन में टारगेट के करीब पहुंची टीम

पिछले साल 29 सितंबर को पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले जवान पहली बार इंडिया न्यूज के जरिए सामने आए. पैरा स्पेशल टास्क फोर्स के इन जवानों ने सफल मिशन की शुरुआत से लेकर अंजाम तक की पूरी कहानी इंडिया न्यूज को बताई.

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सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा सच: कमांडो ने कहा- पाकिस्तान में 3 दिन में टारगेट के करीब पहुंची टीम

Admin

  • September 30, 2017 5:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: पिछले साल 29 सितंबर को पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले जवान पहली बार इंडिया न्यूज के जरिए सामने आए. पैरा स्पेशल टास्क फोर्स के इन जवानों ने सफल मिशन की शुरुआत से लेकर अंजाम तक की पूरी कहानी इंडिया न्यूज को बताई. जवानों ने बताया कि उरी हमले के बाद से ही उनके मन में बदले की भावना थी और मौका मिलते ही पाकिस्तान को औकात दिखा दी गई.
 
इंडिया न्यूज से बातचीत में पैरा स्पेशल फोर्स के जवान ने बताया कि उरी में बिहार रेजीमेंट के 18 जवानों की शहादत के बाद से ही सेना में गुस्सा था. ढिलम घाटी में मुजाहिद कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले स्नाइपर पैरा ट्रूप के जवान ने बताया कि मौका मिलते ही सैनिकों की शहादत का बदला चुकता कर लिया गया. लीपा घाटी में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवान ने बताया कि पाक की हरकतों से तंग आकर सबक सिखाने की बात मन में आई थी.
 
 
सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जवान ने बताया कि उरी हमले में शहीद जवानों के परिजनों के आंसुओं ने उन्हें अंदर से हिला दिया था. जवानों को सीनियर अफसरों से निर्देश था कि सर्जिकल स्ट्राइक कई जगहों पर और घातक होनी चाहिए ताकि पाकिस्तान इसे याद रखे. सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग काफी कॉन्फिडेंशियल थी. जवानों से बस ये कहा गया था कि कुछ बड़ा होने वाला है, जिसके लिए वो तैयार रहें.
 
ऑपरेशन में शामिल जवानों का चयन काफी प्लानिंग से किया गया था. हर टीम में कम्युनिकेशन, मेडिकल, वेपन और डेमोलेशन में माहिर जवान शामिल थे. सर्जिकल स्ट्राइक से पहले जवानों को स्पेशल ट्रेनिंग दी गई, फिर टारगेट और वार गेमिंग पर काम किया. ऑपरेशन के हर पहलू पर काफी तैयारी की गई.
 
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले सेना की रेकी टीम ने टारगेट पर काम किया. इसी दौरान पता चला कि लॉन्चिंग पैड पर आतंकियों के अलावा पाकिस्तानी सेना के जवान भी हैं. भारतीय सैनिकों ने पंद्रह मिनट की फायरिंग में लॉन्चिंग पैड तबाह कर दिया. लगभग 80 आतंकियों को ढेर किया गया और उरी हमले का बदला पूरा हुआ.
 
ऑपरेशन को अंजाम देने सैनिकों का दस्ता टुकड़ियों में रात में टारगेट के नजदीक पहुंचा. टीमें अलग-अलग तीन दिन में टारगेट के करीब पहुंची. 29 सितंबर की सुबह 6 बजे भारतीय जवानों ने पहला फायर किया. संतरी को पहले निशाना बनाया गया. उसके बाद अलग-अलग टारगेट पर फायरिंग हुई.
 
 
सफल ऑपरेशन को अंजाम देकर लौट रहे भारतीय सैनिकों पर पाक ने फायरिंग भी की लेकिन सभी जवान सुरक्षित कैंप में लौट आए. लौटते समय अपनी ही लैंड माइंस के चपेट में आने से एक भारतीय जवान जख्मी हो गया. पूरी टीम दिन के करीब ग्यारह बजे तक कैंप लौट आई.

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