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महानवमी 2017: दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री को खुश करेगा ये अचूक मंत्र, होगी मनोकामना पूरी

नवरात्रि के इस महापर्व का नौवां और आखिरी दिन है. आज माता के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है. माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं.

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  • September 29, 2017 6:41 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: नवरात्रि के इस महापर्व का नौवां और आखिरी दिन है. आज माता के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है. माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं.
 
मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को देने वाली देवी हैं. आज के दिन मां सिद्धिदात्री का पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से मां खुश होती हैं. आपकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं. सिद्धिदात्री मां के चार हाथ हैं और ये माता कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं. 
 
 
माता की पूजा करते समय उनका इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए इससे माता प्रसन्न होती हैं. ये मंत्र है..
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।  
 
नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं.
 
कन्या पूजन में शामिल होने वाली कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए. पूजन में कम से कम 9 कन्या तो जरूरी हैं. इसके साथ-साथ एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है.
 
 
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कन्या पूजन की विधि
 
आप जिन-जिन कन्याओं को भोज और पूजन में शामिल करना चाहते हैं उन्हें पूजा से एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दें क्योंकि इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है. घर में प्रवेश पर कन्याओं का स्वागत करें और मां दुर्गा के नौ नामों का जयकारा जरूर लगाएं.
 
घर आईं कन्याओं के सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना न भूले. सके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए. फिर इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. अंत में इन कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें. 
 

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