नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सोचने को मजबूर कर दिया है, कि हमारे समाज में महिलाओं-लड़कियों का क्या वजूद है. दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में एक लड़की से सरेआम छेड़छाड़ हुई. लड़की ने आरोपी को पकड़ लिय़ा और मदद के लिए पुलिस बुलाई. जब […]
नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सोचने को मजबूर कर दिया है, कि हमारे समाज में महिलाओं-लड़कियों का क्या वजूद है. दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में एक लड़की से सरेआम छेड़छाड़ हुई.
लड़की ने आरोपी को पकड़ लिय़ा और मदद के लिए पुलिस बुलाई. जब पुलिस आई तो कानूनी दांवपेंच और कानूनी कार्यवाही के नाम पर ऐसा जाल बुना गया कि पीड़ित ने हाथ पीछे खींचने में ही भलाई समझी. इस घटना का जिक्र फेसबुक पर वायरल होने के बाद अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि छेड़छाड़ के मामलों में हमारी पुलिस, पीड़ित लड़की से आरोपी की तरह क्यों पेश आती है. आरोपी की बजाय पीड़ित से क्यों इतने क्यों सवाल जवाब किए जाते हैं. लड़कियों की सुरक्षा और सम्मान को पुलिस छोटा- मोटा मामला क्यों मानती है?
वीडियो पर क्लिक कर देखिए पूरी बहस: