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कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए आरएसएस की ‘टूरिज्म पॉलिटिक्स’…!

संघ परिवार के बारे में एक खास बात ये है कि जहां उससे जुड़े सारे संगठन नित नए आंदोलनों या कार्य़क्रमों में जुड़े रहते हैं, वहीं साल में कम से कम एक बार उनकी कोई ना कोई ऐसी यात्रा जरूर होती है, जो देश के एक हिस्से के कार्यकर्ता को काफी दूर और अलग बोली, खानपान वाले दूसरे हिस्से के कार्य़कर्ता से जोड़ने में मदद करती है. संघ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार तो इसके बड़े मास्टर माने जाते हैं. साल खत्म होने से पहले उनकी दो बड़ी यात्राएं है, पहली तवांग की और नए साल का स्वागत अंडमान निकोबार में.

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  • September 27, 2017 4:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. संघ परिवार के बारे में एक खास बात ये है कि जहां उससे जुड़े सारे संगठन नित नए आंदोलनों या कार्य़क्रमों में जुड़े रहते हैं, वहीं साल में कम से कम एक बार उनकी कोई ना कोई ऐसी यात्रा जरूर होती है, जो देश के एक हिस्से के कार्यकर्ता को काफी दूर और अलग बोली, खानपान वाले दूसरे हिस्से के कार्य़कर्ता से जोड़ने में मदद करती है. संघ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार तो इसके बड़े मास्टर माने जाते हैं. साल खत्म होने से पहले उनकी दो बड़ी यात्राएं है, पहली तवांग की और नए साल का स्वागत अंडमान निकोबार में.
 
आम तौर पर संघ से जुड़े सभी संगठनों के राष्ट्रीय अधिवेशन देश के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं ताकि कार्यकर्ता सस्ते में वो जगह घूम ले, पूरे देश से आए लोगों से मिले ताकि उत्साह बढ़े और जहां अधिवेशन है, उस जगह के कार्यकर्ता भी अपने संगठन की ताकत देखकर जोश से लबरेज हो जाएं. विद्यार्थी परिषद तो अधिवेशनों के अलावा एक सील नाम से कार्यक्रम सालों से चला रहा है, जिसके तहत नॉर्थ ईस्ट के युवा भारत के अलग अलग शहरों में उनके कार्य़कर्ताओं के घरों में कुछ दिन रहते हैं. आज नॉर्थ ईस्ट में संघ और बीजेपी ने जो ताकत बढ़ाई है, उसके पीछे ऐसी यात्राओं जैसे कई कार्य़क्रम हैं.
 
संघ के कई संगठन तीर्थ यात्राएं भी आयोजित करते हैं, उनके कार्यकर्ता इस बहाने सस्ते में तीर्थ, टूरिज्म दोनों कर लेते हैं और बीच बीच में कुछ कार्य़क्रम भी आयोजित होते चलते हैं. इंद्रेश कुमार को ऐसी कई यात्राओं को शुरू करने का श्रेय जाता है, 2001 में सिंधु दर्शन महोत्सव में तो आडवाणीजी के साथ अमरीश पुरी भी आए थे. बहुत कम लोगों को पता है कि दिल्ली में अमरीश पुरी कभी संघ की शाखा के मुख्य शिक्षक रह चुके हैं. ऐसे ही तवांग यात्रा भी कई साल से इंद्रेश कुमार के नेतृत्व मे चलती आ रही है.
 
 
इस साल तवांग यात्रा का कार्यक्रम 19 नवम्बर से 24 नवम्बर के बीच है. 19 को यूं तो इंदिरा गांधी की 100वीं जयंती है. लेकिन इंद्रेश कुमार संघ से जुड़े संगठन भारत तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) के बैनर तले आयोजित तवांग यात्रा के लिए 19 को गोवाहाटी पहुंच जाएंगे. इसके लिए देश भर से तमाम स्वंयसेवक 19 को वहां पहुंचेंगे. इसके लिए उन स्वयंसेवकों से 16 हजार रुपए बतौर फीस लिए गए हैं. जिसमें गोवाहाटी से तवांग तक की यात्रा के आने जाने, रुकने और खाने का खर्च शामिल होगा. 
 
इस दौरान उन स्वयंसेवकों को कामाख्या मंदिर, अनिरुद्ध मंदिर, अरुणाचल प्रदेश का गेटवे भालुकपोंग, बोमडीला, जसवंत गढ़, इंडो चाइन वॉर का मेमोरियल, तवांग मोनेस्ट्री, ननकाना साहिब, जोगेन्द्र बाबा मंदिर, भारत पूजा स्थल जहां सूर्य की किरणें सबसे पहले आती हैं और दलाई लामा से जुड़े कई स्थलों की सैर करवाई जाएगी. 19 तारीख को गोवाहाटी शहर में एक मार्च भी आयोजित किया गया है. इनमें से बोमडीला, जसवंत गढ़, वार मेमोरियल और जोगेन्द्र बाबा मंदिर तो सीधे सीधे चीन के साथ युद्ध और भारतीयों की बहादुरी से जुड़े हैं.
 
इंद्रेश कुमार की अगुवाई में इस साल की आखिरी यात्रा एक दूसरे संगठन के बैनर तले रखी गई है. इस संगठन का नाम है राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच या Forum for Awareness of National Security (FANS). इस संगठन को भी हाल ही में इंद्रेश कुमार ने ही खड़ा किया है, धीरे-धीरे ये संगठन दिल्ली से निकलकर कई राज्यों में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहा है. इस यात्रा के दौरान इस संगठन से जुड़े स्वयंसेवकों के लिए अंडमान निकोबार द्वीप समूह यानी शहीद स्वराज द्वीपों की यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया है.
 
ये यात्रा कार्यक्रम इस तरह से बनाया गया है कि जाएं 2017 में और वापस आएं 2018 में, यानी नए साल का स्वागत सभी लोग अंडमान निकोबार में ही करेंगे. ऐसे में सैकडों कार्यकर्ताओं में जोश की लहर है, घूमना भी और संघ कार्य भी. इस यात्रा की भी शर्तें वहीं हैं, यानी अपनी टिकट से सबको 29 दिसम्बर को फ्लाइट से वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचना है और फिर बाकी की जिम्मेदारी संगठन की. उन पांच दिनों तक रुकने, खाने पीने और अलग अलग जगहों पर यात्रा की जिम्मेदारी संगठन की और उसके लिए हर स्वयंसेवक से 16,500 रुपए का चार्ज लिया जाएगा, जो समूह में जाने से काफी कम पड़ रहा है.
 
 
29 को ही पोर्ट ब्लेयर में पहले देश की सिक्योरिटी पर एक कार्यक्रम में चर्चा की जाएगी, अगले दिन सुभाष स्टेडियम में तिरंगा फहराने का कार्यक्रम है. उसके बाद सब लोग समुद्रिका, अंथ्रोपोलोगिकल और संगारिका की सैर का कार्यक्रम होगा. 30 दिसम्बर की शाम को सेलुलर जेल का दौरा और लाइट एंड साउंड शो का कार्यक्रम होगा. 31 दिसम्बर को सुबह हैवलॉक आइलैंड की सैर और शाम को समुद्र पूजन के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए नए साल का स्वागत होगा. अगले दिन यानी 1 जनवरी को वाइपर आइलैंड और रोस आइलैंड की सैर का कार्य़क्रम होगा और शाम को लाइट साउंड शो के साथ साथ वहां के प्रमुख व्यक्तियों से मिलने का कार्य़क्रम रहेगा और अगले दिन सुबह एयरपोर्ट से वापस.
 
दोनों ही यात्राओं की तिरंगा मार्च, समुद्र पूजन, भारत पूजा स्थल पर पूजा, नेशनल सिक्योरिटी पर चर्चा, सेलुलर जेल विजिट जैसे कार्य़क्रमों के जरिए टूरिज्म, देशभक्ति और धार्मिक तीनों ही रंगों में सराबोर करके योजना बनाई गई है, साफ है ये संघ की टूरिज्म पॉलिसी है जिसे विरोधी टूरिज्म पॉलटिक्स का नाम भी दे सकते हैं.

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