मोहालीः साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के लीडरशिप समिट के दौरान एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, 25 साल पहले जो देश की नई नीतियों को लेकर हमारी सरकार पर संदेह करते थे, आज वह गलत साबित हुए हैं.
डॉक्टर सिंह इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के 15वें सत्र के दौरान छात्रों को संबोधित कर रहे थे. आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. मनमोहन सिंह को 1990 के दशक की शुरूआत में किए गए
आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माना जाता है. डॉ. सिंह उस समय देश के वित्त मंत्री थे. समिट के दौरान उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आर्थिक नीतियों का जोर और उसकी दिशा पिछले 25 साल से बरकरार है.
उन्होंने कहा, ‘आप सभी को पता है कि 1991 में हमने अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और इसके प्रबंधन के लिए नया रुख अपनाया था, इसमें घरेलू और बाह्य अर्थव्यवस्था दोनों में प्रगतिशील उदारीकरण शामिल है. नि:संदेह हमारे सामने कई चुनौतियां हैं. खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में. साथ ही आय और संपत्ति में असमानता को पाटने के लिए व्यवहारिक उपाय किए जाने की जरूरत है.’
पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि
देश में काफी अवसर हैं लेकिन आंतरिक चुनौतियां बनी हुई हैं. डॉ. सिंह ने कहा, ‘तानाशाही रूख से लोगों की वास्तविक समस्याओं का हल कभी नहीं हो सकता.’ इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने युवा स्नातकों से अपने जीवन और संबंधित उपक्रमों के प्रबंधन में लोकतांत्रिक मूल्यों को आत्मसात करने की भी सलाह दी.