नई दिल्ली: जरा सोचिए एक पल के लिए आपको दिखाई देना बंद कर दे तो आपको कैसा महसूस होगा? अंधेरा हमें कितना खौफनाक लगता है. अब उन लाखों लोगों के बारे में सोचिए जो इस खूबसूरत संसार को देखने से वंचित हैं. जिनकी जिंदगी रौशनी में भी अंधेरी है. ऐसे लोगों का दर्द समझती है एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन जिसने दृष्टिहीन लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है.
1999 से ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन हजारों दृष्टिहीन बच्चों की जिंदगी में उजाला भर रहा है. एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन पिछले 18 सालों से दृष्टिहीन बच्चों के लिए बढ़-चढ़कर काम कर रही है. एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन अबतक 85 हजार दृष्टिहीन बच्चों को ब्रेल बुक मुहैया करा चुकी है ताकि वो पढ़-लिखकर शिक्षा के जरिए अपने जीवन का अंधकार मिटा सकें.
एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ने भारत के 33 शहरों में ब्रेल लाइब्रेरी बनाई है. साल 2013 में एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ने देश का पहला ब्लाइंड बीपीओ बनवाया. मदुरई में मौजूद इस बीपीओ में 80 से ज्यादा दृष्टिहीन लोग काम कर रहे हैं. एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ने 12 राज्यों के 85 हजार दृष्टिहीन बच्चों के लिए ब्रेल लिपी में बुक मुहैया कराई है. एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ज्यादा से ज्यादा दृष्टिहीन बच्चों को ब्रेल लिपी में लिखी बुक कराने की कोशिश कर रहा है.
इसके अलावा एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ने देश के 15 शहरों में दृष्टिहीनों के लिए कंप्यूटर सैंटर खोले हैं जिनमें लेटेस्ट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर हैं जो देखने में असमर्थ लोगों के लिए बेहद कारगर हैं.
दृष्टिहीन बच्चों के लिएएमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन के डिजिटलाइजेशन प्रोग्राम की भी खूब तारीफ हो रही है. दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले दृष्टिहीन बच्चों के लिए भी एमवे ऑपर्च्युनिटी फाउंडेशन ब्रेल लिपी में किताबें मुहैया करा रहा है.
दृष्टिहीन बच्चों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए एमवे इंडिया न्यूज ने अपने कार्यक्रम जिंदगी ना मिलेगी दोबारा के जरिए सम्मानित किया.