Election Commission Ashok Lavasa Rift Modi Shah Clean Chit: चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने चुनाव आयोग की बैठक में शामिल होने से साफ मना कर दिया है. दरअसल चुनाव आयोग की ओर से पीएम मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में क्लीन चिट देने पर असहमति जताई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लवासा ने यह फैसला अल्पमत के फैसले को रिकॉर्ड नहीं किए जाने के विरोध में लिया.
नई दिल्ली. Election Commissioner Ashok Lavasa: चुनाव आयोग की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में क्लीन चिट देने पर असहमति जताने वाले इलेक्शन कमिश्नर अशोक लवासा इन दिनों लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. इस बार उन्होंने कड़ा कदम उठाते हुए आयोग की मीटिंग में जाना छोड़ दिया है. उन्होंने हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं लिया तब तक वह आयोग की किसी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे.
आयोग में cec के बाद दूसरे नम्बर पर वरिष्ठ आयुक्त अशोक लवासा ने चिट्ठी लिखी है. सूत्रों के मुताबिक चिट्ठी के ज़रिए आयोग के फसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को आधिकारिक रिकॉर्ड पर लाने की मांग तेज़ हो गई है. निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने आयोग के फैसलों/आदेश पर मतभिन्न वाले आयुक्त के विचार को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर रखे जाने की मांग का पत्र मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को भेजा है.
लवासा अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने की कतार में हैं
सूत्रों के मुताबिक अशोक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे और लगातार क्लीन चिट देने और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक अपने अलग मत की वजह से सुर्खियों में रहे अशोक लवासा ने चिट्ठी में लिखा है कि तीन सदस्यीय आयोग में एक सदस्य का भी मतभिन्न हो तो उसे आदेश में बाकायदा लिखा जाए. लवासा वैसी ही व्यवस्था चाहते हैं जैसी ऊंची अदालतों की खंडपीठ या विशेष पीठ में होती है. मतभिन्न जज का फैसला भी रिकॉर्ड पर होता है चाहे वो माइनॉरिटी में ही क्यों न हो.
सूत्रों ने ये भी बताया कि अशोक लवासा ने अपनी मांग के अनुरूप व्यवस्था ना होने तक आयोग की बैठक से बाहर रहने की भी ठान ली है. यानी आयोग और इसमे निर्णय लेने की प्रक्रिया को और ज़्यादा पारदर्शी बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया जा सकता है. उसकी भूमिका लवासा तैयार कर रहे हैं.