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Mahalaya 2017: धरती पर आए पितरों की आत्मा इस दिन जाएगी परलोक

क्या आप जानते हैं कि विसर्जन का असल में अर्थ है क्या ? इसका मतलब होता है पूर्ण होना, समापन या अंत, इसी प्रकार पितृविसर्जन मूलतः पितृपक्ष की समापन बेला हैं.

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  • September 18, 2017 4:35 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : क्या आप जानते हैं कि विसर्जन का असल में अर्थ है क्या ? इसका मतलब होता है पूर्ण होना, समापन या अंत, इसी प्रकार पितृविसर्जन मूलतः पितृपक्ष की समापन बेला हैं. ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष पर पितृ धरा पर उतरते हैं और पितृविसर्जन यानी श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को पितृ हमसे विदा हो जाते हैं.
 
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि जो भी व्यक्ति पितृ को प्रतीक स्वरूप अन्न जल प्रदान करता है उनसे प्रसन्न होकर पितृ सहर्ष शुभाशीष प्रदान कर अपने लोक में लौट जाते हैं. परिजनों और पूर्वजों के देहत्याग की तिथि ज्ञात न होने पर या ज्ञात तिथि पर किसी अपरिहार्य कारणों से श्राद्ध न हो पाने पर अमावस्या यानि पितृविसर्जन के दिन श्राद्ध का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होता है. अगर आप अपने नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहते हैं तो यह क्रिया अमावस्या यानि पितृविसर्जन के दिन की जा सकती है.
 
क्या है अमावस्या का समय
 
अमावस्या में सूर्योदय 20 सितम्बर को (वाराणसी में 5.46, पटना, रांची में 5 बजकर 37 मिनट, लखनऊ में 5.55,दिल्ली में 6 बजकर 9 मिनट, और मुंबई में 6 बजकर 27 मिनट पर) होगा, लिहाजा पितृविसर्जन का पर्व 20 सितम्बर को मनाया जाएगा, और इसका मान्य पूरे दिन होगा.19 सितंबर दोपहर 11 बजकर 52 मिनट के पश्चात् पितृविसर्जन का कर्म संपादित किया जा सकता है.

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