मुंबई. मेट्रो शहरों के संपन्न परिवार से आने वाले युवकों का रोल निभाते रहे फरहान अख्तर पहली बार एक ऐसा रोल करने जा रहे हैं जिसे देखकर गांव-गिरांव का नौजवान कहेगा- अरे ये मैं ही तो हूं. फरहान की यही खासियत है कि वो किरदार को अपने दमदार एक्टिंग से जिंदा कर देते हैं.
निखिल आडवाणी की ‘लखनऊ सेंट्रल’ शुक्रवार को रिलीज हो रही है और सबकी निगाह टिकी है फरहान अख्तर पर जो बॉलीवुड में लेखक, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, सिंगर के साथ-साथ एक्टर के तौर पर भी अपना झंडा कई बार गाड़ चुके हैं.
फिल्म में फरहान अख्तर मुरादाबाद के किशन मोहन गिरहोत्रा का किरदार निभा रहे हैं जो भोजपुरी फिल्मों में हीरो बनना चाहता है, चाहता है कि उसके गाने लोग सुनें. फिल्म में चूंकि फरहान को भोजपुरी एक्टर बनने का ख्वाहिशमंद दिखाया गया है इसलिए उनको भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी का बड़ा वाला फैन भी दिखाया गया है.
अब जब फिल्म के मेन किरदार पर भोजपुरी का इतना असर है तो जाहिर तौर पर वो फिल्म में भोजपुरी बोलता दिखेगा ही. लेकिन ये काम कोई भी एक्टर कर लेता. फरहान ने सिर्फ भोजपुरी बोलने भर की मेहनत नहीं की बल्कि वो मेहनत की जिसको देखकर बोलने, चलने, उठने, बात करने, इमोशनल होने, किसी से पेश आने- हर जगह भोजपुरी नजर आए.
फिल्म से जुड़े सूत्र का कहना है कि रोल का यही ताजापन फरहान को इतना आकर्षक लगा कि उन्होंने फिल्म करने के लिए झट से हां कर दी. सूत्र का कहना है कि हिन्दी फिल्मों में भोजपुरी एक्टर का रोल बहुत कम ने ही किया है लेकिन भोजपुरी फिल्में हाल के कुछ साल में इतनी बड़ी हो चुकी हैं कि फरहान को लगता है कि फिल्म से हिन्दी पट्टी में लोग जुड़ाव महसूस करेंगे.
फरहान ने इस फिल्म में खुद को भोजपुरिया के तौर पर कायदे से पर्दे पर उतारने के लिए करीब एक महीने मेहनत की. इस मेहनत में भोजपुरी बोलना, भोजपुरी बोलने का तौर-तरीका और सलीका, उस इलाके के लोगों के रहन-सहन और एक-दूसरे से पेश आने के ढर्रे को देखना-समझना भी शामिल है.
‘लखनऊ सेंट्रल’ को लेकर लोगों में उत्सुकता है कि कैसे एक कैदी जेल के अंदर बैंड बनाता है और जेल की दीवारें लांघकर अपनी प्रतिभा दुनिया को दिखाता है.
फिल्म में फरहान अख्तर और डायना पेंटी लीड रोल में हैं जिनके साथ गिप्पी ग्रेवाल, दीपक डोबरियाल, रॉनित रॉय, रवि किशन, इनामुल हक और राजेश शर्मा भी नजर आएंगे.
अभिनेता रोनित रॉय फिल्म में जेलर की भूमिका में हैं जो कैदियों को अपना बैंड बनाने के लिए ना सिर्फ प्रेरित करते हैं बल्कि उनकी मदद भी करते हैं.