नई दिल्ली: बुधवार को एनजीओ लोकप्रहरी की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि स्वच्छ भारत अभियान केवल कूड़ा हटाने तक सीमित नही है, बल्कि इसका मकसद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना भी है.
सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. लोक प्रहरी एनजीओ ने याचिका दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव सुधारों को लेकर आदेश दे कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी अपनी और अपने परिवार की आय के स्त्रोत का खुलासा भी करे.
वहीं बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि चुनाव सुधार को लेकर अगर सरकार चाहे तो खुद ये कदम उठा सकती है, सरकार को इस मामले में किसी अन्य की जरूरत नही है.
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए पूछा कि लोकसभा चुनाव हुए 3 साल हो चुके है और आपके पास अभी तक ये डाटा नही है कि किस उम्मीदवार ने चुनाव के दौरान कितने पैसे खर्च किये.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद कहता है कि अगर किसी उम्मीदवार ने चुनाव के दौरान अगर तय सीमा से ज्यादा पैसे खर्च किये है तो चुनाव आयोग कर्रवाई करता है लेकिन यहाँ तो चुनाव आयोग के पास डाटा ही नही है तो कारवाई कैसे होगी ?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आपको कैसे पता चलेगा कि लोकसभा में किसी उम्मीदवार ने पैसे ज्यादा खर्च किये ? कोर्ट ने कहा आप कह रहे है कि डाटा डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर के पास है लेकिन 3 साल बीत गए डाटा आपके पास क्यों नही है।? वही चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया कि डाटा डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर के पास है और तीन हफ़्तों का समय चाहिए ताकि डाटा मंगाया जा सके.