What is Odisha Puri Cyclone Fani Meaning:शुक्रवार सुबह 9 से 10 बजे के बीच बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान फानी खतरनाक रूप लेकर ओडिशा के पुरी पहुंचेगा. इसका असर राज्य के 14 जिलों पर पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर ये फानी तूफान क्या है और क्या इसके नाम का मतलब.
पुरी. बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान फानी खतरनाक होता जा रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार सुबह 9 से 10 बजे के बीच यह चक्रवात ओडिशा के पुरी पहुंचेगा, उस समय इसकी रफ्तार 175 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकती है. तूफान का असर राज्य के 14 जिलों पर पड़ सकता है जिसके मद्देनजर नवीन पटनायक सरकार ने कई कदम उठाए हैं. साथ ही भारतीय नौसेना, एनडीआरएफ और भारतीय तटरक्षक तूफान से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ये फानी तूफान क्या है और क्यों इसे ये नाम दिया गया है.
क्या चक्रवाती तूफान फानी के नाम का अर्थ
बंगाल की खाड़ी से चला खतरनाक फानी तूफान के नाम का मतलब है ”सांप का फन.” फानी एक बांग्ला शब्द है और यह नाम बांग्लादेश ने दिया है. मुख्य तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल विध्वंस या नाशवान के रूप में किया जाता है. दरअसल जिस क्षेत्र में तूफान आता है, वहां स्थित देश इनका नाम रखते हैं. हालांकि पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ओर से इन तूफानों के नाम तय किए जाते थे लेकिन साल 2004 से भारत समेत 8 देशों में भी तूफान का नाम देने का चलन शुरू हो गया. जिनमें भारत समेत बंग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, ओमान और थाइलैंड शामिल हैं.
2004 में भारत ने की थी शुरुआत
साल 2004 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अध्यक्षता वाला इंटरनेशनल पैनल भंग कर दिया था, जिसके बाद देशों से अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने के लिए कहा गया. भारत की अगुवाई में इन आठ तटीय देशों के बीच समझौता हुआ. अब इन देशों में जिस तरफ भी तूफान आता है, उस देश के सुझाव के अनुसार नाम रख दिया जाता है. ऐसा करने से उस क्षेत्र के लोगों को इसकी जानकारी में सहायता भी मिलती है. हर साल इन 8 देशों के साइक्लोन एक्सपर्ट तूफानों के नाम की लिस्ट बनाने के लिए मीटिंग भी करते हैं और अपनी लिस्ट को अपडेट करते हैं.
ओडिशा में क्या होगा फानी तूफान का असर?
शुक्रवार तक ओडिशा के पुरी पहुंच रहे फानी तूफान का असर राज्य के 14 जिलों पर पड़ सकता है. तेज बारिश और हवा के कारण घरों, संचार के साधन, बिजली नेटवर्क, रेल और सड़क को भी भारी नुकसान पहुंचने की संभावनाएं हैं. जान-माल से बचाव के लिए सूबे में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है. तटीयों इलाके के करीब 10 हजार गांवों को खाली कराया गया है. इसके साथ ही करीब 11 लाख लोगों को तटीय इलाकों से दूर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.