बेंगलुरु: इसरो (ISRO) गुरुवार को पहली बार प्राइवेट कंपनियों की मदद से बने सैटेलाइट लांच करने वाला था जो नाकामयाब रहा. इस सैटेलाइट का नाम आईआरएनएसएस-1 एच (IRNSS-1H) रखा गया था. इसरो शाम 6.59 बजे इसे अपने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी 39 रॉकेट की मदद से छोड़ा था.
इस बार एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया था. इसरो का यह प्रयास विफल रहा. इसरो चेयरमैन ए एस किरन कुमार ने गुरुवार को जानकारी दते हुए कहा कि लॉन्च मिशन असफल रहा है. उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण के चौथे चरण में हीट शील्ड अलग हुआ है.
किरन कुमार ने बताया जा कि सैटेलाइट से हीटशील्ड अलग नहीं हुई और पीएसएलवी का लॉन्च बेकार गया. बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने ‘नाविक’ श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है. जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी.
बता दें कि IRNSS-1H की असेंबलिंग और टेस्टिंग में निजी कंपनियों ने मदद की थी. अब तक निजी कंपनियां का काम केवल सामान आपूर्ति तक ही सीमित था. इस सैटेलाइट के निर्माण में 25 प्रतिशत योगदान प्राइवेट कंपनियों के एक ग्रुप ने दिया. इस ग्रुप का नेतृत्व बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजिज नाम की कंपनी कर रही थी. इस समूह का छह कंपनियां शामिल थीं. हालांकि इस दौरान इसरो के वैज्ञानिकों ने मदद की.