सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाल विवाह के मामले में 15 से 18 साल की लड़की के साथ अगर उसका पति संबंध बनाता और उसे रेप माना जाता है ऐसे में बच्चों का भविष्य क्या होगा. कोर्ट ने कहा कि भारत में बाल विवाह बड़े पैमाने पर हुए है अगर इसको अवैध माना जाता है तो बच्चों की वैधता क्या होगी.
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाल विवाह के मामले में 15 से 18 साल की लड़की के साथ अगर उसका पति संबंध बनाता और उसे रेप माना जाता है ऐसे में बच्चों का भविष्य क्या होगा. कोर्ट ने कहा कि भारत में बाल विवाह बड़े पैमाने पर हुए है अगर इसको अवैध माना जाता है तो बच्चों की वैधता क्या होगी.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई लडक़ी 15 से 18 के बीच है और उसकी शादी नही हुई है और उसकी मर्जी से भी उसके साथ कोई सम्बंध बनाता है तो उसे रेप माना जाता है. लेकिन बाल विवाह के मामले में ऐसा नही है.
15 से 18 साल की लड़की से उसका पति अगर उसकी सहमति से सम्बंध बनाता है तो वो बलात्कार के तहत नही आएगा. कोर्ट ने कहा या तो हम इस कानून को सही ठहरा दे जिसका मतलब है कि 15 से 18 के बीच शादीशुदा लड़की के साथ उसकी मर्जी से उसका पति सम्बंध बनाता है तो उसे रेप न माना जाए. या फिर उसे रेप की कैटेगरी में माना जाए. या फिर इसे 18 साल ही कर दें.
मैरिटल रेप पर बहस को तैयार HC, अपराध बनाने की अर्जी पर 4 सितंबर को सुनवाई
अदालत उस संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया कि 15 से 18 वर्ष के बीच शादी करने वाली महिलाओं को किसी तरह का संरक्षण नहीं है.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एक तरह लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हैं वहीं इससे कम उम्र की लड़कियों की शादी हो रही है. 15 से 18 वर्ष की लड़कियों की शादी अवैध नहीं होती है लेकिन इसे अवैध घोषित किया जा सकता है. इतनी कम में उम्र में लड़कियों की शादी से उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
उन्होंने कहा कि 15 से 18 वर्ष के बीच लड़कियों की शादी को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए. 18 से कम उम्र की लड़कियों को यह नहीं पता होता है कि शादी के क्या परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि शादी का एक ही बेंचमार्क होना चाहिए. लड़कियों की शादी के लिए संसद ने न्यूनतम 18 वर्ष है, जो मानसिक आयु है. ऐसे में इसका कोई अपवाद नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे लेकर सीआरपीसी में तो बदलाव कर दिया गया लेकिन भारतीय दंड संहिता में संशोधन नहीं किया गया.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई लडक़ी है और उसकी शादी नही हुई है और उसकी मर्जी से भी उसके साथ कोई सम्बंध बनाता है तो उसे रेप माना जाता है. लेकिन बाल विवाह के मामले में ऐसा नही है.