Ramadan 2019 Date in India: इस्लाम का पवित्र महीना रमजान मई के पहले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है. इस पवित्र महीने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल फितर 2019 का त्योहार मनाया जाएगा. रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोज रखकर खुदा की इबादत करते हैं.
नई दिल्ली. ईद 2019 से पहले 5 मई से मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना रमजान शुरू हो जाएगा. पहला रोजा शनिवार 4 मई को चांद देखने के बाद रखा जाएगा. 30 दिनों के रोजों के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाएगा. रमजान के पवित्र महीने में दुनियाभर के मुस्लिम वर्ग के लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. रोजा रखने के लिए मुसलमान लोग पहले सुबह सूर्योदय से पहले सेहरी खाते हैं जिसके बाद सीधा शाम को इफ्तार करते हैं यानी रोज खोलते हैं. रोजेदार व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक पानी की बूंद भी नहीं पीता है.
इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. इसे नेकियों का महीना भी कहा जाता है. रमजान के दौरान मुस्लिम लोग दुनियादारी से हटकर खुदा की इबादत करते हैं. पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं. पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत करते हैं. मस्जिदों में तरावीह का आयोजन कराया जाता है जिसमें पेश इमाम महीने भर में दिनों के अनुसार बांटकर पूरा कुरान शरीफ पढ़ते हुए नमाज पढ़ाते हैं. इस पाक महीने में रोजेदार झूठ बोलने से बचते हैं. कुछ भी गलत करने से दूर रहते हैं. बतौर जकात और फितरा के हवाले गरीबों में पैसा बांटते हैं.
जानिए क्यों खास है रमजान (Ramzan 2019) का पवित्र महीना
1. रमजान की सबसे बड़ी खासियत है कि इस महीने मुस्लिम समाज के लोग रोजा (व्रत) रखकर उसकी दी हर नेमत का शुक्रिया करते हैं. इसके लिए वे पूरे पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं, इस्लामी किताबें और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं.
2. रमजान के पवित्र महीने में दान का भी काफी विषेश महत्व माना जाता है. मुस्लिम लोग पुण्य कमाने के लिए गरीब लोगों में दान करते हैं. इसलिए रमजान को नेकियों और इबादतों का महीना कहा गया है.
3. इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, रमजान महीने की 27वीं रात शब-ए-कद्र को पवित्र ग्रंथ कुरान का अवतरण हुआ था. इसी वजह से रमजान के महीने में कुरान को पढ़ना काफी अधिक शुभ माना गया है.
4. रमजान में तरावीह (तराबी) की नमाज का आयोजन भी कराया जाता है. तरावीह में मस्जिदों के इमाम नमाज में कुरान का पाठ करते हैं. वे पवित्र कुरान के पाठों को हिस्से में बांटकर पूरे महीने रात की नमाज के बाद सुनाते हैं. दरअसल जो लोग कुरान नहीं पढ़ सकते हैं, वे तराबी की नमाज के दौरान इस सुनकर पुण्य कमा सकते हैं.
तो इस वजह से ईद-उल-अजहा को कहते हैं बकरीद या बकरा ईद
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