नई दिल्ली. इस बार पूरा संघ परिवार एक जगह होगा. अरसे बाद आरएसएस की समन्वय बैठक बुलाई गई है. संघ से जुड़े सभी संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष या संयोजक और संगठन मंत्री को इसमें बुलाया गया है. यानी मोहन भागवत भी होंगे, तो प्रवीण भाई तोगड़िया भी होंगे, अमित शाह भी होंगे तो राम लाल भी होंगे. यूं तो ये मीटिंग आज यानी 30 अगस्त से ही शुरू हो गई है और 3 सितम्बर तक चलेगी, लेकिन मुख्य पदाधिकारियों की मीटिंग एक सितम्बर से तीन सितम्बर तक होगी.
वृंदावन के केशव धाम में कई बैठकों का दौर चलेगा. पहले दो दिन यानी 30 और 31 अगस्त को भारतीय किसान संघ की पदाधिकारियों की मीटिंग होगी. चूंकि योगी सरकार ने कर्जमाफी के चैक किसानों को सौंपने शुरू कर दिए हैं, और महाराष्ट्र में ऐलान हो चुका है तो कर्ज माफी का दवाब हालिया चुनाव वाले गुजरात और हिमाचल में भी हो सकता है. इन सब पर तो चर्चा होगी ही, माना जा रहा है कि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे ‘टारगेट राज्यों’ में क्या किसी तरह का किसान आंदोलन शुरू हो सकता है, इस पर भी विचार मंथन होगा. भैयाजी जोशी पहुंच गए हैं और आज मोहन भागवत भी पहुंच जाएंगे, जाहिर है किसान संघ के पदाधिकारियों से भी मिलेंगे.
भागवत एक बालिका इंटर कॉलेज का भी उदघाटन करेंगे और केशव धाम में बन रहे एक शिव मंदिर का भी लोकापर्ण करेंगे. तब तक केशव धाम की तैयारियों में लगे स्थानीय कार्यकर्ता बैठक का सफलता की कामना के लिए यज्ञ भी कर चुके हैं. तो तमाम सिक्योरिटी एंजेंसियां काफी पहले ही वहां पहुंचकर अपने काम में जुट गई हैं. माना जा रहा है कि अमित शाह भी 31 अगस्त की शाम तक पहुंच जाएंगे.
एक सितम्बर से होने वाली सभी संगठनों की समन्वय बैठक में कम से कम चालीस संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष या संयोजक और राष्ट्रीय संगठन मंत्री हिस्सा लेंगे. संघ से जुड़े संगठनों और सरकारों के बीच तालमेल के लिए ये बैठक रखी जाती है ताकि संगठन की वास्तविक परेशानियों को सरकार समझ सके. इसके अलावा हर संगठन के अपने मुद्दे हैं, और सरकार से कई मांगें हैं, उनमें भी बीजेपी अध्यक्ष से बीजेपी सरकारों की तरफ से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. जीएसटी, चाइना प्रोडक्ट्स बैन, बेरोजगारी, एयरइंडिया और डिफेंस प्रोडक्शन में निजीकरण जैसे मुद्दे तो सीधे केन्द्र सरकार से जुड़े हैं. ऐसे में ये भी हो सकता है कि कुछ प्रमुख विभाग के मंत्रियों को बुलाया जाए, लेकिन ऐसी ही एक मीटिंग में जब मंत्रियों को बुलाया गया था तो विपक्ष ने काफी ऐतराज किया था.
विद्या भारती, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, क्रीड़ा भारती, संस्कार भारती, बीजेपी, अधिवक्ता परिषद, शिक्षा बचाओ आंदोलन, मजदूर संघ, किसान संघ जैसे संघ के कई आनुषांगिक संगठन हैं, जिनके पदाधिकारी बैठक में रहेंगे और वो अपनी सालाना रिपोर्ट भी देंगे, इस बैठक में करीब 188 पदाधिकारियों को भाग लेने की उम्मीद है. ये सारे संगठन समाज के अलग अलग क्षेत्रों में काम करते हैं और हर क्षेत्र के मुद्दे सीधे सीधे सरकार से जुड़े हैं.
ऐसे में जाहिर है शिकायतों की सीधी सुई अमित शाह और राम लाल की तरफ होगी और राम लाल तो वैसे ही संघ के मूल संगठन में अरसे तक काम कर चुके हैं. ऐसे में उनको कई मुद्दों पर घेरा जाएगा. हालांकि संघ की तरफ से अनऑफीशियल रूप से डा. कृष्ण गोपाल बीजेपी के साथ समन्वयक के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी संघ को लगता है कि एक बार परिवार की तरह साथ बैठने से दोनों पक्ष अपनी बातें रख सकेंगे और अगले टारगेट यानी विजय दशमी महोत्सव या गुजरात-हिमाचल चुनावों पर भी रणनीति बना सकेंगे. हालांकि माना जा रहा है कि पिछले हफ्ते राजघाट से लगे गांधी दर्शन परिसर में संघ की कोर मीटिंग में वृंदावन बैठक के सभी मुद्दों को पहले से ही तय कर लिया गया है, वृंदावन में तो बस मोहर लगेगी.